परंत, राजवीर, रामकुमारी,सन्नी- ये नाम घनघोर कुपोषण में दम तोड़ने वाले बच्चों के हैं। 3 साल या फिर इससे भी कम उम्र के सभी बच्चे मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले गांवों में आबाद सहरिया जनजाति के हैं। आशिक, कुलदीप,पवन और मालती जैसे कुछ बच्चे और हैं, ये भी सहरिया जनजाति के ही हैं और कुपोषण की चपेट में इनका भी दम किसी क्षण टूट सकता है।(देखें लिंक संख्या-1) मानवाधिकारों के मोर्चे पर...
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क्या सोचा क्या पाया
जिन सपनों को लेकर एक दशक पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उनमें से कितने सपने आंखों से उतरकर जमीन पर चल पाए हैं? नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य दस साल का हो गया. दस साल की उम्र किसी राज्य का भविष्य तय करने के लिए काफी नहीं होती, पर ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ वाली कहावत के हिसाब से देखा जाए तो उस भविष्य का अंदाजा लगाने के...
More »गुड गवर्नेस की उम्मीद या दिखावा - अश्विनी कुमार
मध्य प्रदेश के पब्लिक सर्विस गारंटी एक्ट 2010 से प्रेरणा लेकर बिहार पब्लिक सर्विस गारंटी एक्ट लागू करने के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रस्ताव से बिहार में गवर्नेस के नये युग की शुरुआत होने की उम्मीद है. इस कानून के संबंध में नीतीश ने विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार और उसकी संस्थाओं द्वारा दी जाने वाली सुविधा पाना लोगों का अधिकार है और इस काम में लगे अधिकारी अगर ऐसा नहीं...
More »विस्थापन
खास बातें- दुनिया में सबसे ज्यादा बड़े बांध बनाने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है। यहां अभी 3600 से ज्यादा बड़े बांधे हैं, जबकि 700 से ज्यादा अभी बनने की प्रक्रिया में हैं। भारत में बांधों की वजह से हुए विस्थापन के बारे में अलग अलग-अलग अनुमान हैं। दास और राव (1989) ने दावा किया कि भारत में बांध परियोजनाओं की वजह से दो करोड़ दस लाख लोग विस्थापित हुए। बड़े...
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जिन सपनों को लेकर एक दशक पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उनमें से कितने सपने आंखों से उतरकर जमीन पर चल पाए हैं? नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य दस साल का हो गया. दस साल की उम्र किसी राज्य का भविष्य तय करने के लिए काफी नहीं होती, पर ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ वाली कहावत के हिसाब से देखा जाए तो उस भविष्य का अंदाजा लगाने के...
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