हमारा संविधान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के गांव को स्वावलंबी व उन्हें एक स्वायत्त शासन इकाई बनाने के सपने के अनुरूप है. हमारे गांव ऐसे हों, जो अपने फैसले खुद लें और अपनी जरूरत की अधिक से अधिक चीजों का उत्पादन खुद करें. संविधान में ग्राम पंचायत को एक स्वायत्त शासन इकाई के रूप में स्थापित करने के लिए विधानमंडल को सभी जरूरी उपाय करने का कहा गया है. भारत के...
More »SEARCH RESULT
संविधान में गांव की परिभाषा भी नहीं- आर के नीरद
भारत के संविधान में गांव की कोई परिभाषा नहीं है. जब गांव ही नहीं है, तो ग्राम गणराज्य भी नहीं है. यह बड़ा विरोधाभास है. महात्मा गांधी गांव गणराज्य की बात करते थे. वे आजादी का असली अर्थ गांवों की समरसता, आत्मनिर्भरता और लोकतंत्र में जन भागीदारी को मानते थे. देश आजाद हुआ और गणतंत्र भारत के लिए अपना संविधान बना, लेकिन इसमें गांव की परिकल्पना शामिल नहीं हो सकी. सब ने...
More »सहिया लक्ष्मी ने बदला गांव के सेहत की तसवीर
देवघर जिला के मोहनपुर प्रखंड का एक गांव है - मेदनीडीह. कुछ समय पहले तक इस गांव के ग्रामीणों को शिक्षा और स्वास्थ्य के विषयों पर जानकारी बिल्कुल नहीं थी. लेकिन अब इस गांव की सूरत बदल रही है. यह बदलाव ला रही हैं लक्ष्मी देवी जो बतौर सहिया काम कर गांव की नई तसवीर पेश कर रही हैं. अब लक्ष्मी न केवल अपने गांव और पंचायत बल्कि पूरे प्रखंड में...
More »मुखिया संवार रहे हैं गांव-पंचायत की सूरत
सरकार द्वारा पंचायतों को हस्तांतरित अधिकार का भरपूर उपयोग जामाताड़ा जिले के पंचायत प्रतिनिधियों ने किया. जब से सरकार ने शिक्षा, कल्याण, स्वास्थ्य, आपूर्ति, मनरेगा योजना का संचालन सहित अन्य कार्यक्रमों के अनुश्रवण का जिम्मा पंचायतों को दिया है, तब से इन प्रतिनिधियों में काम करने का एक अलग उत्साह देखा जा रहा है. प्रतिनिधि सरकार की सभी कल्याणकारी एवं महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ हर जरूरतमंद लोगों को दिलाने के...
More »गांवों में केवल बूढ़े रह जायेंगे
तकनीक और शहरीकरण पूरी दुनिया को तेजी से बदल रहे हैं. खास कर विकासशील देशों को. अपना देश भी इससे अछूता नहीं है. जैसे-जैसे ‘इंडिया’ 2025 की ओर बढ़ रहा है, हम ‘भारत’ के बारे में भूल रहे हैं. इस श्रृंखला में हम यह आकलन पेश करने की कोशिश करेंगे कि 2025 में कैसी होगी हमारी जिंदगी. पेश है पहली कड़ी. नयी दिल्ली : आज भारत में कस्बे तेजी से शहरों में...
More »