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सरकार के लक्ष्य बदलने की वजह-- पवन के वर्मा

विपक्षी नेताओं में नीतीश कुमार संभवत: पहले ऐसे नेता थे, जिन्होंने नोटबंदी के पीछे की मंशा का समर्थन किया. कोई भी सरकार अगर कालाधन और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए कोई कदम उठाती है, तो उसे इसके लिए कम-से-कम संशय का लाभ तो मिलना ही चाहिए. हालांकि, जदयू की तरफ से बराबर यह बात कही जाती रही कि इतने बड़े कदम के लिए तैयारी नाकाफी रही. यह भी कहा...

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पानी की कहानी कहने वाले पर्यावरण के गुरु का जाना

अनुपम भाई सरलता, सहजता और विनम्रता की ऐसी मूर्ति थे जो प्रकृति, पानी, पर्यावरण और मानवता के बीच एक गहरा संबंध बनाते रहे। वे हमेशा ही बड़ी से बड़ी सच्चाई को बिना किसी से डरे, बिना किसी लालच और द्वेष के निष्पक्ष होकर बोल देते थे। मैंने अपने जीवन में उनके जैसे सहज, सरल किंतु बेबाक लोग कम ही देखे हैं।   अनुपमजी ने अपनी जीवन-यात्रा पानी व पर्यावरण को समर्पित कर...

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छोटे उद्योगों पर प्रहार --- डॉ भरत झुनझुनवाला

सरकार ने नोटबंदी को कालेधन के सफाये के अस्त्र के रूप में पेश किया है, परंतु लगभग पूरा कालाधन बैंकों में जमा होकर ‘सफेद' हो गया है. न सिर्फ कालेधन को नष्ट करने का उद्देश्य पूरी तरह असफल रहा है, बल्कि कालाधन पुनः नये नोटों में पैदा हो चुका है. करोड़ों रुपये के नये नोट जब्त हो रहे हैं. नोटबंदी का असल प्रहार छोटे उद्योगों पर हुआ है. तमाम उद्योग...

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नोटबंदी के दौर में बोलेरो शादी-- विभूति नारायण राव

पिछले चालीस दिनों में नोटबंदी ने देश की तरह मुझे भी तरह-तरह के अनुभव दिए हैं। देश दो खेमों मे बंटा दिख रहा है। एक तरफ देशभक्त हैं, जिनकी बांछें खिली हुई हैं और जो बता रहे हैं कि बस देखते रहिए, देश से काला धन, जाली नोट और आतंकवाद खत्म होने ही वाले हैं। यह अलग बात है कि समय बीतने के साथ ही उनकी मुस्कान धीरे-धीरे कमजोर पड़ती...

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सोच और धारणा को नियंत्रित करती डिजिटल दुनिया-- ब्रेट फिचमैन

गूगल कंपनी की जबसे शुरुआत हुई है, तभी से इसके सर्च इंजन की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी विद्वानों के बीच चिंता का विषय रही है। स्वचालित कार, स्मार्टफोन और सर्वव्यापी ईमेल के क्षेत्र में उतरने के बहुत पहले से गूगल से यह पूछा जाता रहा है कि वह उन सिद्धांतों और विचारधाराओं की व्याख्या करे, जिनके आधार पर वह यह तय करती है कि सूचनाएं किस रूप में हम...

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