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मीडिया की मर्यादा- सुशील कुमार महापात्र

मीडिया की समाज में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। मीडिया को लोकतांत्रिक व्यवस्था का चौथा स्तंभ भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी जिम्मेदारी देश और लोगों की समस्याओं को सामने लाने के साथ-साथ सरकार के कामकाज पर नजर रखना भी है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में मीडिया की कार्यप्रणाली और रुख पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। सवाल यह है कि क्या मीडिया बदल रहा है? क्या मीडिया के नैतिक...

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बागवानी पेड़ लगाने के लिए 352 करोड़ -

राजस्थान व एमपी में तूफान से हुए नुकसान की भरपाई के लिए पहल केंद्र सरकार बागवानी फसलों के पेड़ दुबारा लगाने के लिए किसानों को 352 करोड़ रुपये की मदद देगी। मार्च में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान में बेमौसमी बारिश और तूफान से बागवानी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। एक सरकार सूत्र ने बताया कि इसके अलावा केंद्र ने कर्नाटक में किसानों को 92 करोड़ रुपये की मदद...

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नई तकनीक से पौधे बन जाएंगे पॉवर प्लांट

इंसान के जीवन का सहारा रहे पेड़-पौधों पर सदियों से वैज्ञानिक परीक्षण होते रहे हैं। विज्ञान की तरक्की ने भोजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़-पौधों की आनुवांशिक बनावट में फेरबदल कर जीएम फूड का उत्पादन किया। अब वैज्ञानिक छोटे कार्बन पदार्थों की मदद से पौधों का इस्तेमाल सेंसर, एंटीना और ऊर्जा देने वाले छोटे संयंत्र बनाने में कर रहे हैं। आइए जानते हैं कैसे पेड़-पौधों को आधुनिक...

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जंगल के असल दावेदार- विनय सुल्तान

जनसत्ता 19 मार्च, 2014 : पिछले साल की दो घटनाएं इस देश में जल, जंगल और जमीन की तमाम लड़ाइयों पर लंबा और गहरा असर छोड़ेंगी। पहली घटना दिल्ली से दो हजार किलोमीटर की दूरी पर स्थित नियमगिरि की है। यहां ग्रामसभाओं ने एक सुर में अपनी जमीन ‘वेदांता’ के हवाले करने से इनकार कर दिया। इसके बाद वेदांता कंपनी को नियमगिरि छोड़ना पड़ा। नियमगिरि जल, जंगल और जमीन की...

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बातों और चर्चाओं की राजनीति - बद्रीनारायण

उत्तर प्रदेश और बिहार के गांवों में नानी, दादी रात में सोते वक्त अपने बच्चों को जब कहानी सुनाया करती थीं, तब कहानी के अंत में समापन वाक्य की तरह एक खास बात कही जाती थी। वह वाक्य होता था- न कहवइया के दोष, न सुनवइया के दोष, जे कहनी उपारजे ओकर दोष। यानी न कहने वाला का दोष है, न सुनने वाले का, जो इन कथाओं को रचता है, उसका...

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