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पीड़ा के जंगल में आदिवासी- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 24 दिसंबर, 2011 : आजादी के बाद आदिवासी ने क्या हासिल किया, इस विषय पर राजस्थान के बूंदी में दो दिन की चर्चा थी। इस अवसर पर किसी वक्ता ने यह नहीं कहा कि अंग्रेजों के जाने के बाद आदिवासियों की जीवन-दशा में किसी किस्म का बुनियादी बदलाव आया है। फिर आदिवासियों की उम्मीद और इस व्यवस्था के प्रति भरोसे को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में...

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पूर्वोत्तर क्षेत्र से अगले पांच साल में 50 लाख लोग कर सकते हैं पलायन: रिपोर्ट

कोलकाता, 26 दिसंबर (एजेंसी) पूर्वोत्तर राज्यों से लोगों का पलायन चरम पर है और अगले पांच साल में क्षेत्र से लगभग 50 लाख लोग शिक्षा एवं रोजगार के लिये देश के अन्य हिस्सों में गमन कर सकते हैं। राष्ट्रीय राजधानी स्थित शोध संस्थान ह्यनार्थ ईस्ट सपोर्ट सेंटर एंड हेल्पलाइनह्ण ने कहा है, ह्यह्यपूर्वोत्तर क्षेत्र से पलायन चरम पर है...और अगले पांच साल में 50 लाख लोगों के देश के दूसरे हिस्सों...

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पहले था कुख्यात नक्सली, अब भिक्षा मांग चला रहा स्कूल

गया. यूं तो आपने कई तरह के विद्यालय देखे होंगे लेकिन बिहार के गया जिले के नक्सल प्रभावित कहे जाने वाले इलाके में एक ऐसा विद्यालय चल रहा है जिसे एक पूर्व नक्सली चला रहा है। खास बात यह है कि यह नक्सली भिक्षाटन कर यह विद्यालय चला रहा है। जहानाबाद ब्रेक कांड में था फरार कभी हाथ में बंदूक थामे रहने वाला और समाज की मुख्यधारा से विमुख हुआ नक्सली 35 वर्षीय अलखनंदा...

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इंद्रधनु रौंदे हुए ये.. : हर्ष मंदर

सड़कों पर अपना जीवन बिताने वाले बच्चे साहसी जरूर होते हैं, लेकिन उन्हें अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए कड़ा संघर्ष भी करना पड़ता है। इनमें से अधिकांश बच्चे वे होते हैं, जो या तो शराबी या हिंसक पिता की प्रताड़नाओं से बचने के लिए घर से भाग आए हैं, या अपने सौतेले माता-पिता की उपेक्षा के शिकार हैं, या उनका परिवार किसी क्रूर घटना या हादसे की भेंट चढ़ गया...

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भ्रष्टाचार के रास्ते- कुमार प्रशांत

जनसत्ता 13 दिसंबर, 2011:  जयप्रकाश नारायण ने 1974 में, जब वे कई सारे सवालों के साथ-साथ भ्रष्टाचार का भी सवाल उठा कर सारे देश में आंदोलन खड़ा करने में लगे थे, एक गहरा और मार्मिक लेख लिखा था। इसका शीर्षक था:‘क्या नैतिक ताने-बाने के बिना भी कोई देश बना रह सकता है?’ इसमें उन्होंने मुख्य रूप से दो बातें कही थीं। एक,भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे की तरफ चलता है। सत्ता-संपत्ति-अधिकार...

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