SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1521

संविधान और जनतंत्र-- मणीन्द्रनाथ ठाकुर

किसी देश का संविधान इस बात को सुनिश्चित करता है कि समाज में विधि का शासन है. यह एक तरह से आधुनिक विश्व की बड़ी उपलब्धि है. ऐसा नहीं है कि संविधान मात्र के होने से सुशासन होगा ही. लेकिन, इससे शासन की एक सीमा तय होती है. जिन संविधानों का निर्माण लंबे मुक्ति संघर्षों के बाद हुआ है, उनमें संघर्ष की आत्मा बसती है. भारतीय संविधान इसका अच्छा...

More »

जलवायु परिवर्तन और राष्ट्रीय सुरक्षा-- विक्रम सिंह

जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल यानी आईपीसीसी ने पिछले दिनों दक्षिण कोरिया के इंचियोन शहर में एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया है कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के दूरगामी प्रभाव से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आपात स्तर पर तत्काल प्रयास करना चाहिए। पैनल का मानना है कि अगर मौजूदा दर से ग्लोबल वार्मिंग यानी वैश्विक तापमान बढ़ता रहा, तो साल 2030 से 2052 के बीच तापमान-वृद्धि 1.5...

More »

सरकार और आरबीआई के बीच सामंजस्य जरूरी

भारतीय अर्थव्यवस्था अपने महत्वपूर्ण दौर से गुजर रही है. यह वह समय है, जो तय करेगा कि हम आनेवाले सालों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में कहां खड़े होंगे और राजनीतिक तौर पर शक्तिशाली देशों के बीच अपनी जगह बना पायेंगे या नहीं. ऐसे नाजुक वक्त में देश की केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के बीच मतभेद अच्छा संकेत नहीं है. किसी भी उभरती लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्था के गतिमान बने...

More »

ऐसे तो नहीं खत्म होगा प्रदूषण- प्रार्थना बोराह

दिल्ली-एनसीआर की हवा के बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंचते ही सरकार हरकत में आ गई है। कहा गया है कि अगर वायु गुणवत्ता सूचकांक इसी हद तक खतरनाक बना रहा, तो निजी गाड़ियों पर प्रतिबंध और निर्माण-कार्यों पर पूरी तरह रोक लगाई जा सकती है। इस तरह के आपात उपायों की हमें जरूरत भी है, क्योंकि हमारे आसपास की आबोहवा विषैली बन चुकी है और हर कोई सांस की समस्या,...

More »

हाशिमपुरा- इकतीस साल बाद-- विभूति नारायण राय

बुधवार को जब उच्च न्यायालय ने हाशिमपुरा नरसंहार के सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई, तो 31 साल पुरानी इस दुखद घटना के सारे दृश्य एक के बाद एक मेरी आंखों के सामने से गुजरने लगे।   कुछ अनुभव ऐसे होते हैं, जो जिंदगी भर आपका पीछा नहीं छोड़ते। दु:स्वप्न की तरह वे हमेशा आपके साथ चलते हैं। कई बार तो कर्ज की तरह आपके सीने पर सवार रहते...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close