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राजद्रोह: जुबान बंद रखो, वरना...

-आउटलुक, “राजद्रोह कानून का दुरुपयोग चिंताजनक हद तक बढ़ा” तानाशाही और लोकलुभावनवाद का जोर जिस दौर में स्थापित लोकतंत्रों में भी बढ़ रहा है, राजद्रोह का कानून सरकार का पसंदीदा औजार बन गया है। भारत में पहले भी कई सरकारें राजनैतिक वजहों से राजद्रोह कानून का इस्तेमाल करती रही हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से असहमति को गैर-कानूनी साबित करने के लिए इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग भारी चिंताजनक है। इसे लोकतंत्र...

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लोकतंत्र के अंतरराष्ट्रीयकरण का मिथक

-न्यूजक्लिक, जब कभी भी लोकतंत्र का अपने घर में घेराव होता है, लोकतंत्र के हिमायती, उससे प्रेम करने वाले लोग नैतिक समर्थन पाने के लिए अपनी परिधि के पार देखने लगते हैं। अभी-अभी विश्व सूचकांक में स्वतंत्रता की एक रिपोर्ट जारी हुई है, और इसलिए कोई हैरत नहीं कि इसने भारत में लोकतंत्र को चाहने वाले सभी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। यह विश्व सूचकांक अमेरिका की 80...

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जैविक सब्जियों की खेती  -बाबा मायाराम

“मैं अपनी छत पर सब्जियों की खेती करता हूं। गमले में या पुराने टूटे -फूटे टीन के डिब्बों में हरी सब्जियां लगाता हूं। पालक, मैथी, बैंगन, टमाटर, ककड़ी, लौकी, गिलकी, भिंडी लगी है। इससे हमारे परिवार को पूरे हफ्ते हरी ताजी सब्जियां मिलती हैं।” यह रोहना गांव के राजेश सामले थे, जो मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में रहते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सामले होशंगाबाद जिले की सबसे पुरानी गांधीवादी संस्था ग्राम सेवा...

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शुगर इंडस्ट्री और गन्ना किसान एथनॉल क्रांति के जरिये बना रहे भारत में एक ‘मिनी ब्राजील’

-रूरल वॉइस, हरियावां, हरदोई, उत्तर प्रदेश अक्सर राजनीति के केंद्र में रहने वाला चीनी उद्योग और गन्ना उत्पादक किसान मिलकर एक नई इबारत लिख रहे हैं और तेजी से एक महत्वपूर्ण मुकाम की ओर बढ़ रहे हैं। वह मुकाम है एथनॉल उत्पादन के जरिये क्लीन इनर्जी के मामले में देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाना, बशर्ते कि केंद्र और राज्य सरकारें नीतियों और कर व्यवस्था के मामले में दीर्घकालिक सोच पर...

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आत्मनिर्भर खेती की ओर - बाबा मायाराम

“पहले मैं रासायनिक खेती करता था, लेकिन इससे धीरे-धीरे मेरे खेत की मिट्टी जवाब देने लगी, उत्पादन कम होने लगा। इसके बाद मैंने जैविक खेती शुरू की। जैविक खाद व जैव कीटनाशक बनाना सीखा। खेती में अच्छा उत्पादन लिया, मिट्टी में सुधार हुआ। अब मैं दूसरों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रशिक्षण देता हूं।” यह ओडिशा के सुदाम साहू थे, जो बरगढ़ जिले के कांटापाली गांव में रहते...

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