दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी दिल्ली में हेल्थ एमरजेंसी (स्वास्थ्य आपातकाल) की घोषणा की गई है. धुंध (स्मॉग) की चादर में लिपटी दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता “खतरनाक” स्तर को पार कर गई है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित संस्थान इंवॉयरमेंट पॉल्यूशन (प्रीवेंशन एंड कंट्रोल) ऑथरिटी (ईपीसीए) ने शुक्रवार, एक नवंबर को पब्लिक हेल्थ इमेरजेंसी घोषित कर दिया. भारत की यह खबर दुनिया भर के अखबारों में...
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न्यायपालिका के कामकाज में पारदर्शिता के लिए क्या उसे सूचना के अधिकार कानून के दायरे में आना चाहिए
सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के बाद से ही न्यायपालिका के प्रशासनिक कार्यो में भी पारदर्शिता का मुद्दा लगातार उठ रहा है. न्यायपालिका के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लगातार प्रयास भी हो रहे हैं. इसके बावजूद एक तथ्य यह भी है कि सूचना के अधिकार कानून का ज़रूरत से ज़्यादा विस्तार करने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर भी असर पड़ सकता है. सूचना क्रांति और सोशल मीडिया के इस...
More »आर्थिक महाशक्ति भारत दुनिया के सबसे भूखे देशों की लिस्ट में क्यों
सरकार विभिन्न प्रकार की सामाजिक योजनाएं चलाकर मीडिया के माध्यम से देश के अंदर भले ही वाहवाही लूट ले, लेकिन, सामाजिक विकास के मामले में ज़मीनी हकीकत दिन-प्रतिदिन ख़राब होती जा रही है. इस बात की पुष्टि इसी माह जारी ग्लोबल हंगर (भुखमरी) इंडेक्स ने की है, जिसके अनुसार भारत अपने पिछले साल की रैंकिंग की तुलना में इस साल और निचले पायदान पर खिसक गया है. पिछले साल (2018) 132...
More »महिला सशक्तिकरण पर भारतीय जनता पार्टी के खाने के दांत अलग हैं और दिखाने के अलग--- अनुमा आचार्य
देश में, खासतौर पर उत्तर प्रदेश में कुछ दिनों पहले हुई और मुख्यधारा के मीडिया से जानबूझकर अनदेखा किए जाने वाली घटनाओं के बारे में सोचते हुए एक विचार बड़ी शिद्दत से मन में आया कि जिनकी बेटी, पत्नी या बहन न हों, उनमें संवेदनशीलता की कमी जाहिराना तौर पर भी दिख ही जाती है. इस सोच के पीछे कुछ और भी तथ्य हैं, जिन पर ध्यान देने से बात...
More »वैश्विक आर्थिक सुस्ती का कितना असर हुआ है देश के आयात-निर्यात पर, पढ़िए इस एलर्ट में..
घरेलू स्तर पर मांग में आयी कमी नहीं बल्कि अपने देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर व्याप्त आर्थिक सुस्ती की चपेट में है- क्या ऐसा कहना उचित है? अगर ये बात ठीक है तो फिर व्यापार से संबंधित आंकड़ों में इसकी झलक मिलनी चाहिए. ऐसी स्थिति में हमारे निर्यात में इजाफा और आयात में कमी परिलक्षित होनी चाहिए. लेकिन आंकड़ों से ऐसा नहीं झलकता- आंकड़ों से एक मिली-जुली तस्वीर झांकती...
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