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रोजगार के अवसरों में कमी के रुझान जारी: लेबर ब्यूरो की नई रिपोर्ट

संगठित क्षेत्र में रोजगार में कमी के रुझान साल 2017-18 के पहली तिमाही में भी जारी रहे. रोजगार के रुझानों से संबंधित हाल की नई रिपोर्ट से इस बात के संकेत मिलते हैं.तिमाही रिपोर्ट छठे दौर की गणना पर आधारित है और इसे लेबर ब्यूरो ने जारी किया है. रिपोर्ट में 1 जुलाई 2017 तक की स्थितियों का आकलन है. ब्यूरो की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 की...

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इन भिखारियों के दो मंजिला मकान, रोज की कमाई हजार रुपए

अजमत अली, भिलाई(छत्तीसगढ़)। हाल ही केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि देश के भिखारियों को कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित कर रोजगार-स्वरोजगार मुहैया कराया जाएगा...। आइये अब भिलाई चलते हैं। इस्पात नगरी के रूप में विख्यात छत्तीसगढ़ के इस शहर में भिखारियों का कौशल देख आप दो-तीन रात चैन से नहीं सो सकेंगे। दिमाग में बस दो ही शब्द गूंजते रह जाएंगे 'कौशल विकास'। दबंगई से रहते हैं... भिलाई में...

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महिला खेतिहरों के श्रम का अवमूल्यन क्यों-- ऋतु सारस्वत

हाल ही में जारी आर्थिक समीक्षा दो महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान खींचती है। एक यह कि कामकाजी महिलाओं की संख्या में गिरावट आई है। वर्ष 2005-06 में रोजगार में आ रही महिलाओं का प्रतिशत 36 था, जो कि कम होकर 2015-16 में 24 प्रतिशत रह गया है। दूसरा यह कि खेती, बागवानी, मत्स्य-पालन, सामाजिकी वानिकी में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होने पर भी, उन्हें लंबे समय से उचित महत्त्व नहीं...

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नकली अकल की असल चुनौती-- हरजिंदर

यह हमेशा ही होता रहा है। बदलाव जब दरवाजा खटखटाता है, तो उम्मीदें कम बनती हैं, आशंकाएं ज्यादा घेरती हैं। उम्मीद बांधने वाले कम होते हैं, परेशान होने वाले ज्यादा। हालांकि यह कहना भी सही नहीं है कि कृत्रिम बुद्धि यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस या एआई हमारा दरवाजा खटखटा रही है। दरअसल, वह बहुत चुपके से हमारे जीवन में प्रवेश कर चुकी है। यह उसका शैशव काल है, इसलिए फिलहाल हम...

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प्रसंगवश : संभावनाओं से भरे खेतों को बाजार से जोड़ना जरूरी

मौसम रूठा, बादलों से ओले बरसे और देखते ही देखते मध्यप्रदेश के एक हिस्से की फसलें जमीन पर जा गिरीं! यहां सरकार की मजबूरी समझी जा सकती है, लेकिन उसी दौरान दूसरे इलाके के खेतों में बंपर पैदावार की वजह से भाव नहीं मिले और किसान सड़कों पर टमाटर फेंकते, खेतों से पौधे उखाड़ते नजर आए! यह हर हाल में अस्वीकार होना चाहिए, किसान को भी और सरकार को भी!...

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