जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
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दाल से टूटता रोटी का नाता
नई दिल्ली [रमेश दुबे]। दलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए लगभग दो दर्जन योजनाओं की असफलता के बाद केंद्र सरकार ने सीधे किसानों को ज्यादा कीमत देने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत दलहनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोत्तरी की गई है। जहा अरहर के समर्थन मूल्य में सात सौ रुपये की वृद्धि की गई है, वहीं मूंग में 410 रुपये तथा उड़द में 380 रुपये की...
More »दालों की खेती पर नहीं, आयात पर बढ़ाया खर्च
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। दालों के आयात के लिए 5000 करोड़ रुपये और दलहन खेती के लिए औसतन सालाना केवल 500 करोड़ रुपये। समझा जा सकता है कि दालों की पैदावार क्यों नहीं बढ़ रही है। पिछले चार सालों में सरकार ने जितना धन दलहन की खेती के प्रोत्साहन के लिए दिया है, उससे दोगुना हर साल दालों के आयात पर खर्च होता है। जब खेती बेहतर करने में...
More »जैविक कृषि पद्धति अपनाने का आह्वान
शिमला : किसानों को अब परंपरागत खेती की ओर मुड़ना ही होगा। यदि समय रहते किसानों ने पुरानी कृषि पद्धति को नहीं अपनाया तो भविष्य में इसके भयावह परिणाम भुगतने होंगे। कृषि पद्धति ही नहीं किसानों को खेती में विविधता भी लानी होगी क्योंकि अधिक रसायन के प्रयोग के कारण हिमाचल की मिट्टी से पोषक तत्व खत्म होते जा रहे हैं। विकसित देश अब भारत में की जाने वाली परपंरागत कृषि...
More »मुसीबत में हैं बुनकर, बचा लीजिए साहब
भागलपुर। साहब! यहां के बुनकर मुसीबत में हैं। उन्हें बचा लीजिए। काम नहीं मिलने के कारण कुछ बुनकर पलायन कर गए हैं। करीब 40 वर्षों से बिजली संकट झेल रहे हैं। यह आपबीती बुनकरों की है। जो उनके द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुनाई गई। रविवार को नाथनगर स्थित सीटीएस कर्णगढ़ के सभागार में आयोजित बुनकर पंचायत में बुनकरों ने एक-एक कर अपनी व्यथा सूबे के मुखिया को सुनाई। इरशाद अंसारी ने भावनात्मक...
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