नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। ग्रामीण क्षेत्रों में कूड़े-कचरे के प्रबंधन व निपटान के लिए सरकार ने पहली बार नायाब पहल करते हुए हर गांव को एकमुश्त वित्तीय मदद देने का फैसला किया है। आबादी के हिसाब से हर गांव को न्यूनतम सात लाख और अधिकतम 20 लाख रुपये की वित्तीय मदद मुहैया कराई जाएगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति [सीसीईए]...
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लोहा नहीं अनाज चाहिए- विनोद कुमार
जनसत्ता 20 अगस्त, 2013 : झारखंड बनने के बाद प्रभु वर्ग ने इस बात को काफी जोर-शोर से प्रचारित-प्रसारित किया है कि झारखंड का विकास और झारखंडी जनता का कल्याण उद्योगों से ही हो सकता है और खनिज संपदा से भरपूर झारखंड में इसकी अपार संभावनाएं हैं। यह प्रचार कुछ इस अंदाज में किया जाता है मानो झारखंड में पहली बार औद्योगीकरण होने जा रहा है। हकीकत यह है कि...
More »पिछड़े राज्य का दर्जा पाएंगे यूपी-बिहार
नई दिल्ली [नितिन प्रधान/जयप्रकाश रंजन]। पिछड़े राज्यों की नई परिभाषा गढ़ कर केंद्र सरकार ने एक नया राजनीतिक दांव चलने का मन बना लिया है। बहुत संभव है कि अगले कुछ हफ्तों के भीतर जब पिछड़े सूबों की नई परिभाषा तय की जाए तो उसमें बिहार केसाथ ही उत्तर प्रदेश तथा कुछ अन्य बड़े राज्य भी शामिल हो जाएं। पिछड़े राज्यों की नई परिभाषा तय करने के लिए गठित समिति ने शनिवार...
More »जब भूख लगती है शहर को..
गरीबी पर योजना आयोग के ताजा आंकड़ों ने थाली की कीमत को बहस के केंद्र में ला दिया है. देशभर में चल रही इस गरमागरम बहस के बीच हमने खोज की उस थाली की जिसे किसी शहर की भूख मिटाने वाला कहा जा सकता है. प्रचलित अर्थो में इस थाली को भले ही दोपहर का खाना न कहा जाये, लेकिन आज ये किसी शहर की पहचान से जुड़ गयी हैं....
More »बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा जरूरी : डॉ शैबाल
पटना: बिहार के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा मिलना जरूरी है. अंगरेजी हुकूमत व आजादी के बाद भी बिहार को उचित हक नहीं मिला. देश की आर्थिक नीति ऐसी बनी कि महाराष्ट्र, गुजरात व तमिलनाडु जैसे विकसित राज्य और विकसित होते गये और बिहार लगातार पिछड़ता गया. अभी केंद्र सरकार से हक मांगने का अनुकूल समय है. ये बातें आद्री के सदस्य सचिव व पिछड़े राज्यों के मानक तय...
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