‘भारत छोड़ो' (क्विट इंडिया) के नारे के साथ 1942 में ‘अगस्त क्रांति' की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन में हर तबके के लोगों ने हिस्सा लिया। किसानों, महिलाओं, छात्रों, नौजवानों के साथ-साथ विभिन्न विचारधारा के लोगों ने इसमें शिरकत की और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। वह दूसरे विश्व युद्ध का समय था और लोगों के लिए कठिन माहौल था। ब्रिटिश सरकार ने तमाम तरह के सख्त कानून थोप दिए थे...
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क्रांति जिससे आजादी की राह निकली-- मृदुला मुखर्जी
‘भारत छोड़ो' (क्विट इंडिया) के नारे के साथ 1942 में ‘अगस्त क्रांति' की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन में हर तबके के लोगों ने हिस्सा लिया। किसानों, महिलाओं, छात्रों, नौजवानों के साथ-साथ विभिन्न विचारधारा के लोगों ने इसमें शिरकत की और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। वह दूसरे विश्व युद्ध का समय था और लोगों के लिए कठिन माहौल था। ब्रिटिश सरकार ने तमाम तरह के सख्त कानून थोप दिए थे...
More »सबसे ज्यादा अश्लील है भ्रष्टाचार-- मोहन गुरुस्वामी
भ्रष्टाचार भारत में बातचीत का एक पसंदीदा विषय है. इस पर चर्चा करना हम पसंद करते हैं और इसकी सभी विकृतियों का रोना रोते हैं. हमें इसमें महारत हासिल है और हम सभी ने किसी न किसी रूप में इसे अनुभव किया है. यह किसी एक सहज परिभाषा को नकारता है, लेकिन यह है क्या, हम सभी समझते हैं. अश्लीलता के संदर्भ में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पॉटर स्टिवर्ट...
More »असम के आकाश पर नई आशंकाएं-- रविशंकर रवि
एक लंबी और जटिल प्रक्रिया से गुजरते हुए उच्चतम न्यायालय की देख-रेख में असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी के अद्यतन का काम पूरा हो गया है और सोमवार को इसकी अंतिम मसौदा सूची प्रकाशित की गई। इसे असम के लिए ऐतिहासिक दिन बताया जा रहा है। करीब 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन दिया था, जिनमें से 2.89 करोड़ लोगों के नागरिकता प्रमाण दस्तावेज वैध पाए गए। यानी करीब 40...
More »भूख से मरी बच्चियों की याद में--- शशिशेखर
शिखा, मानसी और पारुल के नाम आजाद भारत का इतिहास यकीनन अपने पन्नों में दर्ज नहीं करेगा। उसे सिर्फ नायकों, खलनायकों और विदूषकों का लेखा-जोखा रखने की बुरी आदत है। आप सोच रहे होंगे कि रविवार की सुबह मैं किन लोगों की राम कहानी लेकर बैठ गया। बता दूं, दिल्ली के मंडावली इलाके में ये तीन बच्चियां इस बीतते हफ्ते की शुरुआत में अचानक दम तोड़ गईं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता...
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