‘अभी रुग्ण है तेरे-मेरे जीने का विश्वास रे', इस पंक्ति में कवि ने जीने के विश्वास को परिभाषित करते हुए उन जनतांत्रिक मूल्यों-सिद्धांतों का हवाला दिया था, जिनके आधार पर हमने स्वतंत्रता पाने के बाद एक पंथ-निरपेक्ष, समतावादी राष्ट्र-समाज के निर्माण का संकल्प लिया था. यह त्रासदी ही है कि वैसा समाज, वैसी व्यवस्था आज भी एक सपना ही है. आज भी हमारा देश धर्मों, जातियों, वर्गों में बंटा हुआ...
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जीएसटी : नोटबंदी के कारण राज्यों ने ज्यादा उपकर लगाने की मांग की
नयी दिल्ली : वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू करने के रास्ते में आज एक और रुकावट खड़ी होती दिखी. राज्यों ने समुद्री क्षेत्र में होने वाली बिक्री पर भी कर लगाने का अधिकार मांगा है. इसके अलावा अब राज्य उनके राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए पहले से ज्यादा वस्तुओं पर उपकर लगाने की बात कर रहे हैं. राज्यों का मानना है कि नोटबंदी के बाद उनका राजस्व नुकसान बढकर...
More »अब खेल हो खुला फर्रुखाबादी - मृणाल पांडे
पिछले महीने से सरकार कभी अच्छे दिनों के पुराने सपने जगाती है, कभी देशभक्ति की दुहाई दे जनता से नोटबंदी के इन बुरे दिनों को झेल ले जाने का अनुरोध करती है। फिर भी जब खराब खबरें आना बंद नहीं होतीं, तो वह पटरी बदल लेती है। उत्तर प्रदेश, पंजाब चुनावों की जनसभाओं में अब लुटियन की सरकारी दिल्ली को, पूर्व कांग्रेसनीत सरकार और उसके करीबी मीडिया को, और अंत...
More »घटी है संसद की शान-- विश्वनाथ सचदेव
आपने भी देखा होगा समाचार चैनलों पर वह दृश्य, जिसमें त्रिपुरा विधानसभा का एक विधायक स्पीकर का राजदंड लेकर इधर-उधर भाग रहा है और कुछ लोग, शायद सदन के सुरक्षा कर्मचारी, उसके पीछे भाग रहे हैं. सुना है, विधायक इस बात से नाराज था कि स्पीकर ने उसे सदन में कोई मुद्दा उठाने नहीं दिया. जब मैं यह दृश्य देख रहा था, तो मुझे लग रहा था कि विधायक हमारे...
More »अब नंगे बदन प्रदर्शन करेंगे बेबस विस्थापित आदिवासी-- अनिल बंसल
दामोदर घाटी बिजली परियोजना के विस्थापित आदिवासी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और झारखंड की भाजपा सरकार से भी हताश हो चुके हैं। मोदी ने अपनी सरकार को गरीबों के लिए समर्पित सरकार बताया था। पर झारखंड और पश्चिम बंगाल के चार जिलों के 240 गांवों के हजारों विस्थापित आदिवासियों को उन्होंने भी न तो उनकी जमीन का मुआवजा दिलाया और न ही उनके पुनर्वास का वादा ही पूरा किया है।...
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