एक ओर मामूली चोरी के आरोप में देश भर की जेलों में हजारों कैदी बरसों से सड़ रहे हैं, दूसरी तरफ जनता को अरबों रुपए का चूना लगाने वाले कॉरपोरेट जगत के सफेदपोश अपराधी छुट््टा घूम रहे हैं। खुली अर्थव्यवस्था का यह कड़वा सच जगजाहिर है। इस सच के साथ कुछ अपवाद भी जुड़े हैं। ‘सत्यम कंप्यूटर्स' के संस्थापक और उसके पूर्व प्रमुख बी रामलिंग राजू का मामला अपवाद की...
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रोकना होगा नए काले धन को- शिवदान सिंह
देश में भ्रष्टाचार और काले धन के विरोध में तब तीव्र माहौल बना, जब अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के तहत यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। उसी माहौल में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने वायदा किया कि महज 100 दिनों में ही वह देश से भ्रष्टाचार को खत्म कर देंगे और काला धन वापस...
More »प्रवासी कामगारों की बेहतरी की चिंता- पत्रलेखा चटर्जी
यमन में गृहयुद्ध ने पश्चिम एशिया में भारतीय प्रवासियों की दुर्गति को केंद्र में ला दिया है। वैसे तो हमारी सरकार युद्धरत क्षेत्र से भारतीयों को निकाल लाने की हरसंभव कोशिश कर रही है, लेकिन अनेक भारतीय ऐसे हैं, जो खुद ही वहां से नहीं निकलना चाहते। मसलन, केरल की अनेक नर्सें, जिनके अभिभावकों ने पहले उनके प्रशिक्षण, और फिर उन्हें विदेश भेजने के लिए भारी कर्ज लिया, वहां से...
More »मोदी-राजन : पहले आप का खेल - नंटू बनर्जी
मंगलवार को नए वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति जारी करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने वही किया, जिसकी कि उनसे उम्मीद की जा रही थी। उन्होंने यथास्थिति कायम रखते हुए रेपो रेट और कैश रिजर्व रेशियो को पूर्ववत रखा है। कॉर्पोरेट जगत ने इस पर निराशा जताई है, लेकिन यदि हम राजन की स्थिति को समझने की कोशिश करें तो पाएंगे कि वे इसके अलावा कुछ...
More »कृषि-क्षेत्र में भारत चीन से कोसों पीछे- नई रिपोर्ट
कृषि के क्षेत्र में शोध पर चीन भारत की तुलना में दो गुना से भी ज्यादा खर्च करता है। विश्व स्तर पर खाद्य- सुरक्षा संबंधी नीतियों के बारे में जानकारी देने वाली मशहूर संस्था इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने साल 2009 में कृषि संबंधी शोध पर 109 करोड़ 20 लाख डॉलर खर्च किए जबकि चीन ने साल 2008 में कृषि-शोध...
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