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आख़िर क्यों मनरेगा मज़दूरों को नहीं मिलती उचित मज़दूरी?- देवमाल्या नंदी

महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी क़ानून (मनरेगा) वह क़ानून है जिसके अंतर्गत देश में सबसे अधिक व्यक्तियों को रोज़गार मिलता है. प्रत्येक वर्ष लगभग 8 करोड़ ग्रामीणों को इस क़ानून के अंतर्गत ग्रामीण विकास के कार्यों में रोज़गार मिलता है. मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों के लिए दैनिक मज़दूरी हर साल भारत सरकार द्वारा तय की जाती है ताकि महंगाई के साथ इनकी मज़दूरी भी बढ़े. केंद्र की मोदी सरकार ने...

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कृषि कल्याण सेस ख़त्म करने के बाद भी सरकार ने वसूला 1300 करोड़ रुपये से ज़्यादा का टैक्स

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि कल्याण सेस ख़त्म किए जाने के बाद भी इसके तहत जनता से 1300 करोड़ रुपये से ज्यादा का टैक्स वसूला है. द वायर द्वारा दायर किए गए सूचना का अधिकार आवेदन में इसका खुलासा हुआ है. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा धीरे-धीरे कई सारे सेस ख़त्म कर दिए गए थे. कृषि कल्याण सेस को भी...

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आदिवासी बच्चों के लिए खुले एकलव्य स्कूलों की स्थिति बदहाल, कई राज्यों में शुरू भी नहीं हुए

नई दिल्ली: सबका साथ, सबका विकास... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का ये मूलमंत्र रहा है. लेकिन, क्या सचमुच ऐसा हुआ? मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान विभिन्न योजनाओं का विश्लेषण किया जाए तो यही पता चलता है कि नारों के शोर में विकास कहीं गुम हो गया है. मसलन, इस एक खबर पर पहले नजर डालिए. इकोनॉमिक टाइम्स में 18 अप्रैल 2016 को प्रकाशित एक लेख में...

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ट्रेन रद्द करने में छह गुना बढ़ोतरी, पांच सालों में हर दिन सिर्फ 1.75 किमी नए ट्रैक बिछाए गए

नई दिल्ली: भारतीय रेल भारत की जीवन रेखा है. 81 मिलियन यानी कि 8.1 करोड़ यात्रियों को ढोने वाली भारतीय रेलवे चीन के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है. जाहिर है, भारतीय रेलवे का यह नेटवर्क कोई पांच साल में नहीं बना है. भारतीय रेलवे के विकास की एक सतत प्रक्रिया रही है. मोदी सरकार ने रेलवे विकास को लेकर बहुत सारे दावे किए हैं. आइए, देखते है कि...

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नारों के हिंडोले और हमारी हकीकत-- शशिशेखर

अपनी 72 साला आजादी में भारत ने कुलजमा 16 आम चुनाव देखे हैं। इसके बावजूद सवाल कायम है कि हमारा लोकतंत्र सही दिशा में बढ़ रहा है या नहीं? क्या वजह है कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र अपने विशाल आकार को अभी वांछित प्रकार से व्यवस्थित नहीं कर सका है? बताने की जरूरत नहीं कि आजादी के बाद पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ था। उस समय हिन्दुस्तान का...

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