दु:ख, असहायता और राज-समाज के उत्पीड़न से भारतीय गरीबों का इतनी सदियों से रिश्ता रहा है कि वे अक्सर उसे खामोशी से सहते रहते हैं। पर हमारे यहां जनता की अनसुनी मूक व्यथा को स्वर देने वाले जनकवियों की वाल्मीकि से लेकर बाबा नागार्जुन तक एक लंबी परंपरा भी है, जिसमें नज़ीर अकबराबादी भी आते हैं। मध्यकाल में जब दिल्ली की बादशाहत उजड़ रही थी और जनता जाट, रुहेले, मराठा...
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नजरें अब अगले बजट पर रहेंगी-- आर. सुकुमार
अगले साल हमारी संसद में कामकाज कुछ जल्दी ही शुरू हो जाएगा। शीतकालीन सत्र के पूरी तरह बेकाम चले जाने व जीएसटी यानी वस्तु और सेवा कर को लागू करने की समय-सीमा टलने के खतरे को देखते हुए सरकार जनवरी के दूसरे सप्ताह से संसद का बजट सत्र बुला सकती है। आम बजट भी एक फरवरी को पेश किया जाएगा। मुझे आगामी बजट में लोक-लुभावन घोषणाओं की उम्मीद है। बीते...
More »आदिवासियत का पंचशील-- नसीरुद्दीन
किसी खास समाज, समूह या समुदाय को वहां के मजबूत और सत्ता पर पकड़ रखनेवाले लोग किस नजर से देखते हैं, इसे समझने का एक पैमाना यह भी हो सकता है कि ये समूह किन मुद्दों के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं. देश के आदिवासी इलाकों से कुछ-कुछ दिनों पर जद्दोजेहद और जल-जंगल-जमीन की हिफाजत की गूंज सुनाई देती है. ताजा गूंज झारखंड से सुनाई दे रही है. पिछले दिनों...
More »पीएमजीएसवाई में सड़क मरम्मत का जिम्मा राज्यों पर
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत बन रही सड़कों की मरम्मत को सभी राज्यों से नीति बनाने के लिए कहा है। मंत्रालय ने सोमवार को निर्देश दिया कि इन सड़कों की मरम्मत कराना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है। मंत्रालय ने राज्यों की सड़क मरम्मत के लिए फंड की मांग पर राज्यों को पत्र लिखा। कहा, केंद्र सरकार उन्हें हरसंभव मदद देने को तैयार है, लेकिन...
More »एक साथ चुनावों की बढ़ती कवायद -- अनुपम त्रिवेदी
आर्थिक सुधारों के साथ मोदी सरकार चुनाव सुधार की दिशा में भी बड़ी तेजी से काम कर रही है. भविष्य में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने को लेकर अनेक गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं और लगातार सरकार इसके संकेत भी दे रही है. संसद के वर्तमान सत्र से पूर्व हुई सर्वदलीय बैठक में भी प्रधानमंत्री मोदी ने एक साथ चुनावों की वकालत करते हुए कहा...
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