जनसत्ता 13 दिसंबर, 2011: जयप्रकाश नारायण ने 1974 में, जब वे कई सारे सवालों के साथ-साथ भ्रष्टाचार का भी सवाल उठा कर सारे देश में आंदोलन खड़ा करने में लगे थे, एक गहरा और मार्मिक लेख लिखा था। इसका शीर्षक था:‘क्या नैतिक ताने-बाने के बिना भी कोई देश बना रह सकता है?’ इसमें उन्होंने मुख्य रूप से दो बातें कही थीं। एक,भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे की तरफ चलता है। सत्ता-संपत्ति-अधिकार...
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कर्नाटक- आर्थिक वृद्धि के बीच कुपोषण से मरते बच्चे
कर्नाटक को भारत के आईटी सेक्टर में सफलता का सबसे ऊंचा झंडा गाड़ने वाला राज्य माना जाता है और विदे्शी निवेश के लिहाज से भी यह सबसे चहते राज्यों में शुमार है। कर्नाटक प्रति व्यक्ति आय के लिहाज देश के शीर्ष राज्यों में गिना जाता है। लेकिन आर्थिक विकास के निर्देशांकों के हिसाब से ऊंचे पायदान पर दिखने वाले इसी राज्य कर्नाटक में हजारों बच्चे कुपोषण के कारण मौत की...
More »जरूरी हैं छोटे राज्य- परंजय गुहाठाकुरता
उत्तर प्रदेश विधानसभा ने देश के सबसे बड़े राज्य को चार हिस्सों में बांटने का जो प्रस्ताव पारित किया है, वह एक अच्छा और स्वागतयोग्य कदम है। अमेरिका जैसा देश, जिसकी आबादी 30 करोड़ है, वहां 50 राज्य हैं। दूसरी ओर हमारे देश की आबादी अब 121 करोड़ के पार हो गई है, लेकिन हमारे यहां केवल 28 राज्य और सात केंद्र शासित प्रदेश हैं। गौर करने वाली बात है...
More »पशुधन का कुपोषण से क्या रिश्ता है ?
हम जानते हैं कि कुपोषण का बोझ देश के जमीर और जेब दोनों पर भारी है।हम यह भी जानते हैं कि बाल-कुपोषण से छुटकारा पाना बड़े साहस और धैर्य की मांग करता है। लेकिन कुपोषण से छुटकारा पाने की स्थिति में जो आर्थिक फायदे होंगे- क्या हमें उन फायदों के बारे में पता है? एफएओ की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत बाल-कुपोषण को खत्म करके अपनी आय में 28 अरब अमेरिकी डॉलर का इजाफा कर सकता है।यह बड़े आर्थिक...
More »बढ़ती महंगाई में योजना आयोग का मानव विकास रिपोर्ट 2011
क्या किसी देश का एचडीआर रिपोर्ट सालों से चली आ रही महंगाई और महंगाई की बढ़वार की तुलना में आमदनी की बढ़वार का जिक्र किए बगैर इस फैसले पर पहुंच सकता है कि देश में गरीबों की संख्या घटी है क्योंकि प्रतिव्यक्ति आमदनी के बढ़ने से लोगों की क्रयशक्ति बढ़ी है और वे भोजन,सेहत,शिक्षा सहित रोजमर्रा की बाकी जरुरतों पर पहले की तुलना में ज्यादा खर्च कर रहे हैं ? एक ऐसे वक्त में जब...
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