सबसे पहले एक स्पष्टीकरण। ये पंक्तियां किसी नेता, व्यक्ति या संगठन के पक्ष-विपक्ष में नहीं हैं। एक साधारण हिन्दुस्तानी के तौर पर मेरे मन में टेलीविजन पर कुछ दृश्यों को देखकर जो उभरा, यह उसकी अभिव्यक्ति मात्र है। मंगलवार की शाम को आंखें उस समय डबडबा आईं, जब मैंने टेलीविजन पर कुछ कंकालों, हड्डियों, कपड़ों आदि को पडे़ देखा। हिन्दुस्तानी सरजमीं से हजारों किलोमीटर दूर वे अवशेष उन हिन्दुस्तानियों के...
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बाधित संसद लोकतंत्र की अवमानना-- राजकुमार सिंह
संसदीय लोकतंत्र में संसद ही सर्वोच्च है। हमारे माननीय संसद सदस्य इस सर्वोच्चता का अहसास कराने का कोई मौका भी नहीं चूकते, पर खुद इस सर्वोच्चता से जुड़ी जिम्मेदारी-जवाबदेही का अहसास करने को तैयार नहीं। संसद में धनबलियों और बाहुबलियों की बढ़ती संख्या और लोकतंत्र की मूल भावना को इससे बढ़ते खतरे की चर्चा और चिंता मीडिया से लेकर सर्वोच्च अदालत तक मुखर होती रही है। जाहिर है, इस गहराते...
More »कल्याण योजनाओं से आधार लिंक का नहीं बढ़ेगा समय
सुप्रीमकोर्ट ने कल्याणकारी योजनाओं से आधार लिंक करने की समय सीमा 31 मार्च से आगे बढ़ाने संबंधी आदेश देने से इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण (आधार) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय भूषण पांडे ने मंगलवार को अपना पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन पूरा किया और दावा किया कि सरकारी व्यवस्था में आधार मसले की सफलता दर 88 प्रतिशत...
More »बाजार पर वर्चस्व की जंग-- निरंकार सिंह
अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक वस्तुओं पर लगने वाले आयात कर को लेकर टकराव जारी है। अमेरिका का तर्क है कि चीनी सामानों के आयात से उसका व्यापारिक घाटा बहुत बढ़ गया है। अमेरिका ने जहां चीनी सामानों पर आयात कर बढ़ा दिया, वहीं चीन ने अमेरिका से आने वाले सामान पर आयात कर बढ़ा दिया है। दरअसल, जंग अब सिर्फ देशों की सीमाओं पर नहीं होती; वैश्वीकरण की...
More »जन-आंदोलनों का विचार-- अनुज लुगुन
साल 1930 में मार्च महीने की 12 तारीख थी. जैसे हर रोज सूरज निकलता है, वैसे ही उस दिन भी सूरज निकलनेवाला था, फिर भी उन लोगों को सूरज के उगने की प्रतीक्षा थी. यद्यपि उन्हें मालूम था कि वे सरकार के विरुद्ध कदम उठा रहे हैं और उसका परिणाम यातनामयी होगा, लेकिन सबने प्रण कर लिया था कि यदि कदम नहीं बढ़े, यदि आवाज नहीं उठी, तो उनके जीवन...
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