कोयला खदान आवंटन मामले में सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले ने साल 1993 से लेकर 2010 के बीच की केंद्र सरकारों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों की आवंटन-प्रक्रिया में कथित निष्पक्षता और पारदर्शिता की कलई खोल दी है। शीर्ष अदालत ने इस बीच के 218 कोयला ब्लॉकों के आवंटन को अवैध बताया है। इस फैसले ने उस बदतर स्थिति का खुलासा किया है, जिसमें ‘क्रोनी कैप्टिलिज्म' और ‘कमजोर नेतृत्व' एक स्तर पर...
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वंचित तबके के हक पर डाका डालने वाले- सुभाष गताडे
अनुसूचित तबकों के छात्रों को दी जा रही छात्रवृत्ति जारी करने में विलंब के चलते लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। पिछले दिनों राज्यसभा में शून्यकाल में इसी मसले को बसपा के एक सांसद ने उठाकर सदन का ध्यान खींचने की कोशिश की थी। संविधान के अंतर्गत अनुसूचित तबकों को दिए गए आरक्षण के बावजूद समय पर छात्रवृत्ति न मिलने से इन तबकों के छात्रों की पढ़ाई...
More »खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह
जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...
More »जीएम फसल : भरोसेमंद रिसर्च, अन्नदाता की भलाई में समाधान
जीन संशोधित यानी जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) फसलों को लेकर भारत में एक बार फिर जीन संशोधित यानी जीएम फसलों का मामला गरमा गया है। पेश है एक रिपोर्टः- नरेंद्र मोदी सरकार पर इस मसले पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के दबाव में काम करना आरोप लगा है। पहले खबर आई थी कि देश में 15 जीएम फसलों के फील्ड ट्रायल की अनुमति दे दी गई है। बाद में संघ से...
More »गरीबी हटाने की लंबी डगर - एन के सिंह(पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय सचिव)
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पर संसद में हुई बहस का जवाब देते हुए इस सोच का खंडन किया है कि गरीब समर्थक और कारोबार समर्थक नीतियों में कोई फर्क होता है। उन्होंने पूरी विनम्रता से स्वीकार किया है कि उनका बजट गरीब समर्थक भी है और कारोबार समर्थक भी। यह बात लगभग उसी तरह की है, जैसे यह कहा जाए कि एक तरफ जगदीश भगवती और अरविंद पणगरिया...
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