महाकवि कालिदास की एक प्रसिद्ध उक्ति ध्यान में आती रहती है कि संदेह के अवसरों पर अंत:करण की आवाज को प्रमाण मानना चाहिए। ठीक बात है। लेकिन आत्म-बोध, ज्ञान-बोध दोनों के बीच संदेह झूल रहा है। यह संदेह संस्कृति रूपी चित्त की खेती को बर्बाद करने का जाल बिछा रहा है। विश्वास का अंत कर रहा है और संशय का हुदहुद सभी को ढहाए दे रहा है। भारतीय जन-मानस की...
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बागवानी के अच्छे दिन!
यह सच है कि फल-सब्जियों की कीमतें बढ़ी हैं और यह भी सच है कि बीते बीस सालों(1991-91 से 2012-13) में देश में फल-फूल, सब्जी और मसालों की खेती का रकबा दोगुना बढ़ा है। नतीजतन, वानिकी-उत्पादन में तकरीबन तीन गुना(2.8 प्रतिशत) की बढ़ोत्तरी हुई है। कृषि मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते बीस सालों में वानिकी का रकबा 1 करोड़ 20 लाख 77 हजार हैक्टेयर से...
More »खरगोन जिले से छिन सकता है मिर्च का 'लाल ताज'
विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव, खरगोन। पिछले कुछ वर्षों से जिले की मिर्च जैसी उपज ने एशिया में अपनी खास जगह बनाई है। भारत में आंध्रप्रदेश के गुंटूर को उत्पादकता व गुणवत्ता में टक्कर देकर इस क्षेत्र ने अपना ध्यान खींचा। परंतु इस वर्ष मिर्च के क्षेत्र में उपलब्धि का 'लाल ताज' छिन सकता है। यहां फैले वायरस ने ना केवल फसलें बर्बाद कर दी बल्कि उत्पादकता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला। किसान...
More »पग-पग बीहड़ और अंख-अंख पानी - पंकज चतुर्वेदी
चंबल, मध्य प्रदेश के भिंड और मुरैना जिले में ऐसे 948 गांव हैं, जहां का सामाजिक व आर्थिक ताना-बाना जमीन में पड़ती गहरी दरारों के कारण पूरी तरह से बिखर चुका है। यहां की जमीन का रिकॉर्ड रखना सरकार के बस में नहीं है, क्योंकि पता नहीं कौन-सी सुबह किसका घर, खेत या सड़क बीहड़ की भेंट चढ़ जाए। लगभग 16.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले चंबल संभाग का कोई 20...
More »गरीबों का भला ऐसे नहीं होगा- शीतला सिंह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को दी गई चाय पार्टी के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि हमारे हर कार्य की दिशा कमजोर वर्गों के लाभ पर आधारित होगी इसलिए सभी सहयोगियों को भी इस पर अच्छी तरह से सोचना चाहिए कि वे जो कार्यक्रम बनाएं, ध्यान रखें कि उससे गरीबों का कितना हितसाधन होगा। गरीबी मिटाओ का नारा और इसके लिए कार्यक्रम कोई नए नहीं हैं।...
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