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चर्चा में.... | बागवानी के अच्छे दिन!
बागवानी के अच्छे दिन!

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published Published on Nov 7, 2014   modified Modified on Nov 7, 2014

यह सच है कि फल-सब्जियों की कीमतें बढ़ी हैं और यह भी सच है कि बीते बीस सालों(1991-91 से 2012-13) में देश में फल-फूल, सब्जी और मसालों की खेती का रकबा दोगुना बढ़ा है। नतीजतन, वानिकी-उत्पादन में तकरीबन तीन गुना(2.8 प्रतिशत) की बढ़ोत्तरी हुई है।


कृषि मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते बीस सालों में वानिकी का रकबा 1 करोड़ 20 लाख 77 हजार हैक्टेयर से बढ़कर 2 करोड़ 30 लाख 69 हजार हैक्टेयर हो गया है। रिपोर्ट में बढ़ोत्तरी की वजह कृषि के विविधीकरण और अनुकूल नीतियों को बताया गया है।


बहरहाल, हैंडबुक ऑन हार्टिकल्चर स्टैटिस्टिक्स 2014 में इस बात का जिक्र नहीं है कि उत्पादन में लगातार बढ़ोत्तरी के बावजूद फल-सब्जियों के दाम में बीते दो सालों में बढ़ोत्तरी क्यों हुई है।रिपोर्ट में दी गई तालिका(यहां क्लिक करें) से स्पष्ट है कि सब्जियों का थोक मूल्य सूचकांक साल 2012-13 से 2013-14 के बीच खाद्यान्न(अनाज और दाल) की तुलना में ऊँचा रहा है। फल-सब्जियों के दाम में बढ़त के संभावित कारणों का जिक्र ना होने के बावजूद कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट मीडियाकर्मियों तथा शोधकर्ताओं के लिए बहुत सारी उपयोगी जानकारी से भरी हुई है। ( रिपोर्ट की लिंक और प्रमुख तथ्यों इस पोस्ट के नीचे है)


रिपोर्ट में जिक्र आया है कि साल 2009-10 से पहले हर साल खाद्यान्न का उत्पादन वानिकी-उत्पादन की तुलना में ज्यादा था लेकिन साल 2009-10 के बाद वानिकी उत्पाद की मात्रा खाद्यान्न उत्पाद की तुलना में ज्यादा हो गई। दरअसल, कृषि मंत्रालय का तृतीय अग्रिम आकलन बताता है कि साल 2013-14 में भारत में वानिकी उत्पाद की मात्रा 28 करोड़ 80 हजार टन है जबकि इस वर्ष खाद्यान्न उत्पादन की मात्रा 26 करोड़ 40 लाख टन है।


बीती दो पंचवर्षीय योजनाओं में वानिकी पर विशेष बल दिया गया। हैंडबुक के अनुसार राष्ट्रीय वानिकी मिशन पर साल 2007-08 में 917.33 करोड़ रुपये का खर्च हुआ था जो साल 2013-14 में बढ़कर 1809.56 करोड़ रुपये हो गया।  नवीं पंचवर्षीय योजना में वानिकी पर योजनागत व्यय 3.9 प्रतिशत था जो मौजूदा 12 वीं पंचवर्षीय योजना में बढ़कर 4.6 प्रतिशत हो गया है। 11 वीं पंचवर्षीय योजना में योजनागत परिव्यय 11.6 प्रतिशत का था


कृषि मंत्रालय की हैंडबुक में 2013(जुलाई) से 2014(जुलाई) के बीच की अवधि के लिए विभिन्न वानिकी उत्पादों की कीमतों का ब्यौरा दिया गया है। ये ब्यौरे विभिन्न राज्यस्तरीय एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमिटी या मंडी से एकत्र किए गए हैं लेकिन रिपोर्ट में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमिटी एक्ट में सुधार के क्य़ा उपाय किए गए हैं। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि खाद्यान्न और फल-सब्जियों की कीमतों में कमी के लिए एक्ट में सुधार करना जरुरी है ताकि आपूर्ति-चक्र से बिचौलिये की भूमिका कम की जा सके। रिपोर्ट में भंडारण और शीघ्र नष्ट होने वाले उत्पादों के प्रबंधन के बारे में भी कोई जिक्र नहीं है।


गौरतलब है कि भारत ने खेती को निर्यातोन्मुख बनाने के नीतिगत प्रयास किए हैं। इससे वानिकी उत्पादों के निर्यात में तेज वृद्धि हुई है।साल 2013-13 में वानिकी उत्पादों का निर्यात साल 2011-12 के 25.1 प्रतिशत से बढ़कर 35.6 प्रतिशत हो गया। कई अध्ययनों में निर्यातोन्मुख कृषि-नीति के खतरों के प्रति चेताया गया है और उन अध्ययनों के आलोक में सरकार को सुरक्षा के कदम उठाने चाहिए।

हैंडबुक ऑन हार्टिकल्चर स्टैटिस्टिक्स 2014 के प्रमुख तथ्य :

• साल 2009-10 से पहले हर साल खाद्यान्न का सकल उत्पादन सकल वानिकी-उत्पादन की तुलना में ज्यादा था लेकिन साल 2009-10 के बाद वानिकी उत्पाद की मात्रा खाद्यान्न उत्पाद की तुलना में ज्यादा हो गई।

• साल 2012-13 में खाद्यान्न का कुल उत्पादन 257.1 मिलियन टन था जबकि वानिकी-उत्पादन की सकल मात्रा इस वर्ष 268.9 मिलियन टन थी। साल 2011-12 से साल 2012-13 के बीच वानिकी-उत्पादन के दायरे की वृद्धि-दर 1.9 प्रतिशत और उत्पादन की वृद्धि-दर 4.5 प्रतिशत थी।

• साल 2012-13 में कुल वानिकी उत्पादन में सब्जियों की मात्रा 60.3 प्रतिशत और फल की मात्रा 30.2 प्रतिशत थी। मसालों का प्रतिशत 2.1 तथा फूलों के उत्पादन का प्रतिशत 1 था।

• साल 2012-13 में पश्चिम बंगाल वानिकी-उत्पादों के मामले में अव्वल (292 लाख मीट्रिक टन) है, आंध्रप्रदेश दूसरे (289.13 लाख मीट्रिक टन) नंबर है।

• साल 2012-13, फलों का सर्वाधिक उत्पादन 139.39 लाख मीट्रिक टन आंध्रप्रदेश (17.1% का योगदान) में दर्ज किया गया। इसके बाद फलों के उत्पादन के मामले में 12 प्रतिशत के योगदान के साथ महाराष्ट्र (97.85 लाख मीट्रिक टन) का स्थान है।

•फूलों के उत्पादन के मामले में तमिलनाडु (18%) साल 2012-13 में अव्वल नंबर पर रहा।

• सब्जियों के उत्पादन में पश्चिम बंगाल का योगदान सर्वाधिक (15.7%) रहा। सब्जियों के उत्पादन के मामले में साल 2012-13 में यूपी (12.1%) दूसरे नंबर पर है।

• मसालों के उत्पादन के मामले में आंध्रप्रदेश (20.7%) साल 2012-13 में अव्वल रहा।

• साल 2013-14 में विभिन्न देशों को भारत ने कुल 14365 करोड़ रुपये के वानिकी उत्पादों का निर्यात किया। फूलों का निर्यात 456 करोड़ रुपये का रहा।

• साल 2004-05 में फल और सब्जियों से प्राप्त कैलोरी के उपभोग का हिस्सा 6.9 प्रतिशत था जो साल 2009-10 ग्रामीण इलाको में बढ़कर 7.2 प्रतिशत और शहरी इलाकों में बढ़कर 8 प्रतिशत हो गया।

• साल 2012-13 में फल-सब्जियों के उत्पादन के मामले में भारत का स्थान विश्व में दूसरा था, पहले स्थान पर चीन है।

इस कथा के विस्तार के लिए देखें संबंधित लिंक--

Handbook on Horticultural Statistics 2014, Ministry of Agriculture (please click here to download)

 

Third Advance Estimates of Horticultural Production for 2013-14, Department of Agriculture & Cooperation (please click here to download)

 

Third Advance Estimates of Production of Foodgrains for 2013-14, Department of Agriculture & Cooperation (please click here to access) 

 

State of Indian Agriculture 2012-13 (please click here to access)

 

All in the name of the farmer-Mekhala Krishnamurthy, The Hindu Business Line, 2 January, 2012

 

Understanding Agricultural Commodity Markets -P S Vijayshankar, Mekhala Krishnamurthy, EPW (Please click here to access)

 

Understanding Mandis -Market Towns and the Dynamics of India's Urban and Rural Transformations, IGC Project Report 2: A Comparative Study of Agricultural Marketing Reforms -Mekhala Krishnamurthy and Jeffrey Witsoe (please click here to access) 

 

Supermarkets in India: Struggles over the Organization of Agricultural Markets and Food Supply Chains -Amy J Cohen, University of Miami Law Review (please click here to access) 

 

The Promise and the Perils of Agricultural Trade Liberalization: Lessons from Latin America -Mamerto Pérez, Sergio Schlesinger, and Timothy A Wise, June 2008, Working Group on Development and Environment in the Americas (please click here to access)

 

Export-oriented agriculture and food security in developing countries and India -Utsa Patnaik, Economic and Political Weekly, September 1996 (please click here to download)

 

 

 



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