एक ओर बाढ़ और एक तरफ सूखा वाली बात हर किसी ने सुनी होगी। बर्बादी दोनों में ही तय है। कुछ ऐसी ही कार्यप्रणाली देखने को मिल रही है शासन की विभिन्न योजनाओं में जहां एक ओर तो रोजगार कार्यालय में पंजीकृत बेरोजगार रोजगार के लिए तरस रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों व दूसरे महकमों के कर्मचारियों को उनका मूल कार्य छुड़वाकर जनगणना या अन्य राष्ट्रहित कार्य...
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छुआछूत ने नहीं लगने दी स्कूल में नौकरी
बरवाला. सौथा गांव के सरकारी स्कूल में छूआछूत का एक चिंताजनक मामला सामने आया है। गांव के राजकीय मिडिल स्कूल में तीन महीने से एक दलित महिला को बतौर कुक ज्वाइन नहीं करने दिया जा रहा। महिला का आरोप है कि मीड डे मील इंचार्ज बार-बार यह कहकर नियुक्ति पत्र नहीं दे रहा कि गांव का कोई बच्चा उसके हाथ से बना खाना नहीं खाएगा। उधर, इस व्यवहार से नाराज गांव दलित...
More »बीच बहस में न्यूनतम मजदूरी
हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
More »नई लीक का सिपाही
स्वतंत्रता के मूल्य के घोर समर्थक अमेरिका को इसी मूल्य पर चलकर चुनौती देने वाले जूलियन असांज की उतार-चढ़ाव भरी जीवनयात्रा पर ऋषि मजूमदार का आलेख ठिठुरते लंदन में उस दिन वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के बाहर मीडिया और पुलिसकर्मियों का जमावड़ा देखकर कोई नहीं कह सकता था कि यूरोप में दशकों बाद कड़ाके की ठंड पड़ रही है. यह पिछली सात तारीख की बात है. दुनिया भर में अपनी वेबसाइट विकीलीक्स...
More »सूचना आयुक्त ही दबा रहे हैं जानकारी -- सचिन जैन और रोली शिवहरे
हमने तंत्र और उसे चलाए रखने वाले लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये सूचना के अधिकार कानून की पैरवी की थी, परन्तु जब सरकार इसे लागू करने के लिये जिम्मेदार आयोगों में नौकरशाहों को नियुक्त करने लगती है तब हमें चौकन्ना हो जाना चाहिये. अपने सेवाकाल के करीब तीस सालों या 12775 दिनों में तंत्र के हिस्से के रूप में काम करते हुये जिन लोगों ने उसे गैर जवाबदेह बनाया,...
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