दु:ख, असहायता और राज-समाज के उत्पीड़न से भारतीय गरीबों का इतनी सदियों से रिश्ता रहा है कि वे अक्सर उसे खामोशी से सहते रहते हैं। पर हमारे यहां जनता की अनसुनी मूक व्यथा को स्वर देने वाले जनकवियों की वाल्मीकि से लेकर बाबा नागार्जुन तक एक लंबी परंपरा भी है, जिसमें नज़ीर अकबराबादी भी आते हैं। मध्यकाल में जब दिल्ली की बादशाहत उजड़ रही थी और जनता जाट, रुहेले, मराठा...
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नजरें अब अगले बजट पर रहेंगी-- आर. सुकुमार
अगले साल हमारी संसद में कामकाज कुछ जल्दी ही शुरू हो जाएगा। शीतकालीन सत्र के पूरी तरह बेकाम चले जाने व जीएसटी यानी वस्तु और सेवा कर को लागू करने की समय-सीमा टलने के खतरे को देखते हुए सरकार जनवरी के दूसरे सप्ताह से संसद का बजट सत्र बुला सकती है। आम बजट भी एक फरवरी को पेश किया जाएगा। मुझे आगामी बजट में लोक-लुभावन घोषणाओं की उम्मीद है। बीते...
More »साइबर खतरे की सबसे बड़ी दस्तक-- हरजिंदर
विजय माल्या से लेकर राहुल गांधी, बरखा दत्त और रवीश कुमार के ट्विटर व अन्य खातों का हैक हो जाना फिलहाल भले ही चर्चा में हो, लेकिन यह एक ऐसा मसला है, जिसे जल्द ही हम भुला देंगे। हालांकि इस मामले में भी बहुत कुछ है, जो समझ में आने वाला नहीं है। यह सवाल तो खैर अपनी जगह है ही कि एक खास राजनीतिक रुझान के लोगों को लीजियान...
More »नोटबंदी से सामने आया उच्च और मध्य वर्ग का भ्रष्टाचार
नोटबंदी का परिणाम सही है या गलत, इसका उत्तर आने वाला समय देगा. मगर, अभी जो दिख रहा है कि एक तरफ दो हजार और पांच हजार की निकासी के लिए देशभर में लोग एटीएम और बैंकों की कतारों में घंटों खड़े रहने के लिए मजबूर हैं, वहीं दूसरी तरफ लाखों-करोड़ों की नकदी बैंकों, नेताओं, व्यापारियों एवं अन्य पेशेवरों के पास से पकड़ी जा रही है. यह स्थिति संस्थागत...
More »स्विस बैंक, टैक्स हेवन और कालाधन- यहां पढ़िए अपने सवालों के जवाब !
विदेशी बैंकों में भारतीयों ने अपना कितना धन छुपाकर रखा है ? क्या 462 अरब डॉलर जैसा कि ग्लोबल फाइनेंसियल इंटिग्रिटी नामक संस्था की रिपोर्ट में दर्ज है या 500 अरब डॉलर जैसा कि सीबीआई ने कहा ? क्या विदेशों में जमा सारा काला धन भारत आ जाये तो सचमुच बहुत सालों तक किसी टैक्स की आवश्यकता नहीं रहेगी और देश के हर गाँव को दस करोड़ रुपये (16 लाख...
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