SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 5902

स्वास्थ्य नीति की बीमारी-भारत डोगरा

जनसत्ता 25 मई, 2013: भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, स्वास्थ्य क्षेत्र संकट की स्थिति में है। गांवों के लिए विशेष स्वास्थ्य मिशन स्थापित करने के बावजूद अधिकतर जरूरतमंद गांववासियों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं, या इन्हें प्राप्त करने के लिए उन्हें असहनीय खर्च करना पड़ता है। इलाज पर आने वाला खर्च कर्जग्रस्त होने और गरीबी में धकेले जाने का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। इस...

More »

विश्वास जीते बिना हल नहीं- सुदीप श्रीवास्तव

दरभा घाटी में जिस तरह नक्सलियों ने कार्रवाई की है, उसके कई आयाम दिख रहे हैं। इससे पहले राजनेताओं पर इतने बड़े पैमाने पर नक्सलियों ने आक्रमण नहीं किया था, फिर इस घटना ने नक्सलियों की रणनीति को भी उलझा दिया है। नक्सल विरोधी आंदोलन के अगुवा रहने के कारण महेंद्र कर्मा की हत्या की वजह तो दिखती है, पर प्रत्यक्ष रूप से कोई रिश्ता नहीं होने के बाद भी नंद कुमार...

More »

‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना ‘घोटाले’ की सीबीआई जांच पर तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करें सरक

लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउच्च् पीठ ने उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना के संचालन में कथित रूप से करोड़ों रुपए के घोटाले की सीबीआई से जांच कराये जाने के आग्रह वाली जनहित याचिका पर आज केन््रद तथा राज्य सरकारों को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये। न्यायमूर्ति अब्दुल मतीन तथा न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश स्थानीय संस्था ‘वी द पीपुल' की...

More »

उत्तर भारत में कपास का रकबा 15 फीसदी घटने का अनुमान

चालू खरीफ सीजन में अभी तक 7.15 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई मोह भंग - पिछले साल कपास की आवक के समय उत्पादक मंडियों में दाम घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे चले गए थे जबकि धान और ग्वार का अच्छा भाव मिला था। इसलिए किसानों की दिलचस्पी धान और ग्वार की खेती में ज्यादा है। राज्यों में बुवाई हरियाणा में कपास की बुवाई 1.50 लाख हैक्टेयर में पंजाब में हुई...

More »

जहर खा रहा हर भारतीय!

वर्ष 1966-67 में समूचे देश में सूखे की स्थिति व्याप्त हो गयी थी. उस समय देश की 48 करोड़ आबादी को खिलाने के लिए हमारे पास समुचित खाद्यान्न उपलब्ध नहीं था. ऐसी स्थिति में विदेशों से खाद्यात्र मंगाने की मजबूरी बन रही थी. यह परंपरा अधिक दिनों तक किसी भी स्थिति में चलनेवाली नहीं थी. इसलिए खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए उसके उत्पादन में वृद्धि करना अनिवार्य आवश्यकता बन...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close