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लोक से कटा गंगा-विमर्श -- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 15 अक्तूबर, 2014: गंगा के बारे में जो धारणा भारतीय जन-मानस के बड़े हिस्से में सचेतन रूप से खड़ी की गई है, वह केवल धार्मिकता से जुड़ी है। वह धार्मिकता भी बेहद एकांगी है। इस पूरी धारणा ने मानवीय जीवन और खास तौर से समाज की सामूहिक चेतना को बुरी तरह से खंडित किया है। इसने प्रकृति के साथ जीवन के रिश्तों को समझने और उसे समृद्ध करने की...

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नरेगा : प्रधानमंत्री के नाम गणमान्य नागरिकों की चिट्ठी

सेवा में,                                                                                                                            13 अक्तूबर 2014 श्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री, भारत ...

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पांच फिजिशियनों के भरोसे छत्‍तीसगढ़ के 72 लाख आदिवासी

आवेश तिवारी, नई दिल्ली। पांच फिजिशियन और पांच महिला चिकित्सकों के भरोसे छत्तीसगढ़ के लगभग 72 लाख आदिवासियों का इलाज किया जा रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ांे स्र्पए के वार्षिक बजट और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाओं के होते हुए भी आलम यह है कि यहां के आदिवासी इलाकों में बाल चिकित्सकों के स्वीकृत 82 पदों के सापेक्ष महज 8 चिकित्सकों की तैनाती हो पाई है। भारत सरकार...

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सीएनटी एक्ट में संशोधन आवश्यक- प्रभाकर तिर्की

जो छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम को जानते हैं, वे स्पष्ट रूप से यह कह सकते हैं कि इस कानून में आज की परिस्थिति में संशोधन का मतलब यह नहीं है कि पूरी कानून में संशोधन हो जाये. समय-समय पर परिस्थिति की समीक्षा करते हुए कानून की कुछ धाराओं, कुछ खंडों, कुछ शब्दों में संशोधन आवश्यक होता है, ताकि उसके प्रतिकूल प्रभावों को रोका जा सके. सीएनटी एक्ट में उसके लागू होने...

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आखिर किस कीमत पर विकास? - एमएम बुच

प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि भारत में तीव्र आर्थिक विकास और औद्योगीकरण आवश्यक है, किंतु उत्पादन की गुणवत्ता इतनी ऊंची होनी चाहिए कि विश्व भर में उसकी ख्याति हो। साथ ही विकास एवं औद्योगीकरण पर्यावरण के अनुकूल हो। इस ओर विशेष ध्यान दिया जाए कि विकास के कारण पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े। यूपीए सरकार से यह शिकायत रहा करती थी कि भू-अर्जन नीति...

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