-जनपथ, OPEN SPACE सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश March 3, 2021 - by चौधरी सवित मलिक - Leave a Comment तीन महीने हो चुके हैं दिल्ली के चारों तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है। 250 से अधिक किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। आखिर सरकार...
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कृषि मंत्रालय ने पहली बार बनाई आपदा प्रबंधन योजना, जल्द होगी लागू
-डाउन टू अर्थ, अपनी तरह के पहले प्रयास में केंद्र सरकार जल्द ही बाढ़ और सूखे जैसी भीषण मौसमी परिस्थितियों से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन योजना लागू करने जा रही है। इसमें नॉवेल कोरोनावायरस बीमारी जैसी दुर्लभ घटनाओं को भी शामिल किया जाएगा। यह योजना जिसे मार्च 2021 में पेश किए जाने की उम्मीद है, उसमें ऐसे 34 जोखिमों को सूचीबद्ध किया गया है, जो कृषि क्षेत्र के लिए खतरा बन...
More »राष्ट्र एक व्यक्ति में बदल जाए, उससे पहले एक आंदोलन क्या राजनीतिक विपक्ष बन पाएगा?
-जनपथ, सरकार अगर अचानक से घोषणा कर दे कि परिस्थितियां अनुकूल होने तक अथवा किन्हीं अन्य कारणों से विवादास्पद कृषि क़ानूनों को वापस लिया जा रहा है और कृषि क्षेत्र के सम्बन्ध में सारी व्यवस्थाएं पहले की तरह ही जारी रहेंगी, तो आंदोलनकारी किसान और उनके संगठन आगे क्या करेंगे? महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर जमे हज़ारों किसान और उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाक़ों में महापंचायतें आयोजित कर रहे आंदोलनकारी जाट...
More »दिशा रवि की गिरफ्तारी की कहानी और रामदेव की कोरोनिल
-न्यूजलॉन्ड्री, बीते हफ्ते पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को दिल्ली पुलिस ने बेंगलुरू से गिरफ़्तार कर लिया. वो इस समय राजद्रोह के आरोप में जेल में बंद हैं. 22 वर्षीय दिशा पर आरोप है कि उन्होंने किसानों के आंदोलन को जन-समर्थन दिलाने के लिए स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर की गयी टूलकिट के निर्माण में भूमिका निभायी थी. ऐसा उन्होंने भारत के खिलाफ साजिशन किया. तो इस बार हम टूलकिट...
More »चौरी चौरा के सरकारी पुनर्पाठ के ज़रिये गांधी और उनकी अहिंसा को खारिज करने की कवायदें
-जनपथ, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में ‘चौरी चौरा’ शताब्दी समारोह के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सम्बोधन को भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के (हाल के दिनों में लोकप्रिय बनाए जा रहे) उस घातक पुनर्पाठ के रूप में देखा जा सकता है जो गांधी और उनकी अहिंसा को पूर्णरूपेण खारिज करता है। संघ परिवार और कट्टर हिंदुत्व की हिमायत करने वाली शक्तियों का गांधी विरोध जगजाहिर रहा है और अनेक बार...
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