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कोरोना के कहर से लेकर कृषि कानूनों की वापसी तक, ऐसा रहा 2021 का सफर

-द प्रिंट, हैरां हूं दिल को रोऊं या पीटू जिगर को मैं!…जी हां, ज्यादातर वक्त हमारी सासें दुश्वार किये रखकर अस्ताचल की ओर जा रहे वर्ष 2021 को जब भी और जैसे भी याद किया जाये, मिर्जा गालिब की यह पंक्ति जरूर याद आयेगी. यह वर्ष आया तो कोरोना की पहली लहर के दिये जख्म हरे थे. भले ही उसका त्रास कम हो गया था, दूसरी लहर के अंदेशे इतने घने थे...

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सरकारी दावे से उलट किसानों को नहीं मिल रहा यूरिया समेत अन्य खाद

-न्यूजलॉन्ड्री, केंद्र सरकार ने 10 दिसंबर को संसद में यूरिया की कमी को लेकर सात सांसदों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दिया. रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने यूरिया की देश में पर्याप्त मात्रा के सवाल पर कहा, देश में यूरिया की कोई कमी नहीं है. इस दौरान उन्होंने रबी फसल के लिए यूरिया की आवश्यकता, उपलब्धता और बिक्री की भी राज्यवार जानकारी दी. संसद में यूरिया और डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी)...

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नीति आयोग का स्वास्थ्य सूचकांक: नहीं काम आ रहा 'डबल इंजन’, यूपी-बिहार सबसे नीचे

-न्यूजक्लिक, देश ललकारने वाले अंधे नारों से मिलकर नहीं बनता। ना ही कुछ अमीर लोगों के पैसे से बनता है। देश इंसानों से मिलकर बनता है। इसलिए किसी देश की तरक्की का सबसे बड़ा पैमाना वही है जो इंसानों की तरक्की के होते हैं। इसी में से एक पैमाने का नाम है देश का स्वास्थ्य क्षेत्र। इस स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर नीति आयोग की स्वास्थ्य सूचकांक की चौथी रिपोर्ट आई है।...

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जलवायु परिवर्तन से उपजी चरम मौसमी घटनाओं ने 2021 में दुनिया के खरबों डॉलर डुबा दिए

-जनपथ, दुनिया की सबसे महंगी चरम मौसमी घटनाओं में से दस की लागत 1.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। इस सूची में अमेरिका में अगस्त में आया तूफ़ान इडा सबसे ऊपर है, जिसकी अनुमानित लागत 65 बिलियन डॉलर है। वहीँ जुलाई में यूरोप में आयी बाढ़ में 43 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। इन आंकड़ों का ख़ुलासा करती है क्रिश्चियन एड की ताज़ा रिपोर्ट काउंटिंग द कॉस्ट 2021: ए ईयर ऑफ...

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ललितपुर: भावनी बांध से प्रभावित किसान बोले," सरकार या तो हमें रास्ता दे या हमारी जमीन खरीद ले"

-गांव कनेक्शन, "देखो वो सामने महुआ का पेड़ दिख रहा हैं वही हमारा खेत हैं उस साढ़े तीन एकड़ के खेत पर पहुँचने के लिए पांच किमी का चक्कर लगाना पड़ता हैं, क्योंकि नाले में बाँध का जो पानी भर आया हैं।" बढईयाँ नाले के उस तरफ दिख रहे खेत की ओर हाथ का इशारा करते हुऐ मुकुंदी प्रजापति (62 वर्ष) कहते हैं। मुकुंदी प्रजापति के गांव के करीब से निकले...

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