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पीएम मोदी चीन-अमेरिका पर नेहरू और शास्त्री से क्या सीख सकते हैं?

-द क्विंट, भारत और अमेरिका गहरे दोस्त बन गए हैं. मैंने अपनी दो किताबों में इसे ‘इनएविटेबिलिटी ऑफ हिस्ट्री’ यानी इतिहास की अनिवार्यता कहा है. जाहिर सी बात है, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने काफी नाजुक दौर में भारत में कदम रखा है. उधर अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में कुछ ही दिन बचे हैं (संभव है कि ट्रंप चुनाव हार जाएं). इधर भारत गलवान घाटी में...

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क्या नदियां भी गाती है?

-इंडिया वाटर पोर्टल, डा.ओमप्रकाश भारती की पुस्तक नदियां गाती हैं - कोसी नदी का लोकसांस्कृतिक अध्ययन का द्वितीय संस्करण पढ़ रहा था, उसी झण टीवी पर खबर देखा, कोसी अंचल में जल प्रलय! और मैं कठिन समय में चला गया, जहाँ मेरे लिये दृश्यों के साथ शब्द थे। नादियां गाती हैं, डॉ. ओमप्रकाश भारती की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जिसमें कोसी नदी के जीवन से संबंधित भूगोल, इतिहास और समाजशास्त्र को वैज्ञानिक...

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सीबीआई एक ऐसा तोता है जिसे सभी राजनीतिक दल आजाद तो रखना चाहते हैं लेकिन तभी जब विपक्ष में हों

-सत्याग्रह, सीबीआई फिर सुर्खियों में है. दिल्ली की एक अदालत ने मोइन कुरैशी मामले की जांच के प्रभारी उसके संयुक्त निदेशक को एक समन भेजा है. इसमें उन्हें 17 नवंबर को पेश होने को कहा गया है. अदालत उनसे इस मामले में सीबीआई के पूर्व निदेशकों एपी सिंह और रंजीत सिन्हा की भूमिका के बारे में जानना चाहती है. वह इस हाई प्रोफाइल केस में जांच की धीमी गति से नाराज...

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टाइम यूज सर्वे: महिलाओं के गले में बंधा है घर का चुल्हा चौंका और देखभाल का अवैतनिक काम

अन्य कई कारणों के अलावा, देश में पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की कम श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) के पीछे एक कारण (अर्थशास्त्रियों के अनुसार) यह है कि युवा लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं, जिसकी वजह से माध्यमिक और उच्च शैक्षिक स्तर पर महिलाओं के एनरोलमैंट में सुधार देखने को मिला है. इसका अर्थ यह है कि अधिक से अधिक भारतीय महिलाएँ अपनी शिक्षा को जारी रखने के लिए...

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मैं बिहार चुनाव को लेकर उत्साहित क्यों नहीं हूं: योगेंद्र यादव

-द प्रिंट, इन पंक्तियों को जब आप पढ़ रहे होंगे तो बिहार विधानसभा के चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान समाप्त हो चला होगा. अब अचरज कहिए कि इस बार बिहार के चुनाव को लेकर अपने मन में मैं पहले जैसी तरंग महसूस नहीं कर पा रहा और, मुझ जैसे चुनाव-आसक्त आदमी के लिए जिसने जिंदगी के तीन दशक चुनावों को पूरे दिल-ओ-जान से पेशेवर और सियासी तौर पर परखने-समझने...

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