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कड़वे बादाम : दिल्ली के बादाम उद्योग में मज़दूरों का शोषण

  उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दूर-दराज़ कोने में बसी हुई, शोर-ग़ुल और चहल-पहल भरी करावलनगर की बस्ती, अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों का एक उभरता हुआ केन्द्र है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर और उनके परिवारों को रोज़गार मिलता है। ये उद्यम किसी भी मानक से छोटे नहीं है। वैश्विक सम्‍बन्‍धों की जटिल श्रृंखला में बँधे ये उद्यम, सालभर चालू रहते हैं और हज़ारों मज़दूरों के रोज़गार का स्रोत हैं। कई करोड़...

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करावलनगर की वॉकर फ़ैक्ट्रियों में मज़दूरों के हालात

उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में करावलनगर के औद्योगिक इलाके और उससे लगे क्षेत्र में वॉकर (छोटे बच्चों को चलने में मदद करने वाली साइकिल) और पालना बनाने वाली 14-15 छोटी-छोटी फ़ैक्ट्रियाँ हैं। ज़्यादातर फ़ैक्ट्रियों में 10-15 मज़दूर और कुछ में 30-40 मज़दूर काम करते हैं। ज़्यादातर फ़ैक्ट्रियाँ दलित बस्ती में हैं, कुछ करावलनगर गाँव, पंचाल विहार और दयालपुर में स्थित हैं। इनमें काम करने वाले ज़्यादातर मज़दूर झारखण्ड, बिहार और उत्तर प्रदेश से आये प्रवासी...

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बिहार में अज्ञात बीमारी से मरने वालों बच्चों की संख्या 160 पार

पटना. बिहार के मुजफ्फरपुर, गया और पटना के अस्पतालों में अज्ञात बीमारी से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस अज्ञात बीमारी से बीते 15 घंटों में 10 और बच्चों की मौत हो गई है, जिससे मरने वालों की संख्या 160 के आंकड़े को पार कर गई है। इधर, दिल्ली से आए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल विभाग का छह सदस्यीय विशेषज्ञ दल लगातार बीमारी प्रभावित गांवों...

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‘जनश्री’ से सरकार खींच रही हाथ, चलाई ‘आम आदमी योजना’

नागपुर। तीन साल तक दोनों हाथ से धन बरसाने के बाद सरकार अब गरीबों के लिए बनी ‘जनश्री बीमा योजना’ से धीरे-धीरे हाथ खींच रही है।   सरकार कितना धन बांट चुकी है, इसका अंदाजा इस बात से चलता है कि नागपुर मंडल में इसके लगभग 5 लाख बीमा धारक हैं। गत वर्ष 1 लाख 70 हजार 4 सौ बच्चों को छात्रवृत्ति बांटी गई है।   एनजीओ के माध्यम से योजना   उल्लेखनीय है कि सरकार ने गरीबों...

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हिंसक प्रतिरोध कितना उचित- हर्षमंदर

बहुतेरी संस्कृतियों में अन्याय के प्रतिरोध को सर्वोच्च मानवीय दायित्व का दर्जा दिया गया है। इसी क्रम में एक बहस सदियों से जारी है और आज भी प्रासंगिक बनी हुई है। यह है अत्याचार और अन्याय के प्रतिरोध में हिंसा की वैधता। सवाल यह है कि अगर राज्यसत्ता के कुछ सशक्त प्रतिनिधि अगर अन्यायपूर्ण हो गए हों तो क्या उनके प्रतिरोध के लिए हिंसा उचित है? दूसरे शब्दों में क्या न्याय के...

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