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गुजरात के 77 गांवों में दलितों के मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध

अहमदाबाद। राज्य में भाजपा द्वारा मंगलवार को डॉ. बाबासाहेव अंबेडकर की 125 वीं जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई वहीं दूसरे ही दिन नवसर्जन ट्रस्ट द्वारा जारी एक रिपोर्ट में गुजरात के 77 गांवों में दलितों की स्थिति दयनीय होने का खुलासा हुआ है। इन गांवों में दलितों का सामाजिक बहिष्कार किया गया है। इतना ही नहीं दलितों का मंदिरों में प्रवेश पर प्रतिबंध है। जिससे मजबूर होकर दलितों को यहां...

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झारखंड के मजदूर देश में सबसे सस्ते - आशुतोष सिंह

केंद्र की निगाह में झारखंड के मनरेगा मजदूर सबसे सस्ते हैं। इसीलिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रलय ने यहां मनरेगा मजदूरों की मजदूरी सिर्फ 162 रुपये प्रतिदिन तय की है। पूर्वी भारत के राज्यों में रोजगार की कमी और बेरोजगारों की संख्या अधिक होने के कारण ऐसा हुआ है। केंद्र ने हरियाणा के मजदूरों के लिए सबसे अधिक 250 रुपये प्रतिदन तय किया है। झारखंड में अकुशल मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी...

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बाल श्रम पर प्रभावी कानून न बनने से निराश सत्यार्थी- विनोद अग्निहोत्री

बाल दासता और बाल मजदूरी के खिलाफ दुनिया ने तो कैलाश सत्यार्थी की आवाज़ सुनी। उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। बाल मजदूरी के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून भी बना। लेकिन सत्यार्थी की बात उनके अपने ही देश में नहीं सुनी जा रही है। करीब दस साल से सत्यार्थी सरकार से बाल श्रम उन्मूलन के लिए प्रभावी कानून बनाने और इसके लिए बने अंतरराष्ट्रीय कानून को लागू...

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यह आत्महत्या ऐसे नहीं रुकेगी- चौ. राकेश टिकैत

जय जवान, जय किसान अथवा अन्नदाता देवो भवः जैसे नारों के साथ सत्ता में आने वाली सरकारें किसानों के प्रति हमेशा संवेदनहीन रही हैं। नहीं तो आज प्रत्येक बीस मिनट में एक किसान और कर्ज के कारण सालाना 12,000 किसान आत्महत्या करने को मजबूर नहीं होते! प्रधानमंत्री मोदी पुराने कानूनों को बदलने की बात जरूर कहते हैं, पर एनडीए सरकार के दस माह के कार्यकाल में किसान-विरोधी कानूनों को बदलने...

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उदारीकरण में पिसती ग्रामीण अर्थव्यवस्था- सुषमा वर्मा

विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...

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