हर साल तीन दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय विकलांगता दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर कुछ ऐसे साहसी लोगों की कथा, जिन्होंने अपनी हिम्मत और हौसले से अपनी बाधाओं को ताकत में बदल दिया। हुमैरा अंसारी और अंतरा सेनगुप्ता की रिपोर्ट जनसंचार में स्नातकोत्तर की फाइनल परीक्षा से कुछ दिन पहले 2010 में 29 साल की निधि गोयल को कितना संघर्ष करना पड़ा था, वह इसे कभी नहीं भूल सकतीं। ये विजुअली...
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यहां जन्म लेते ही अग्निपरीक्षा से गुजरते हैं नवजात
विकास पांडेय, कोरबा। उरगा-करतला मार्ग पर एक ऐसा गांव भी है, जहां के नवजात शिशुओं को जन्म लेते ही एक भीषण अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है। यहां के आदिवासी समुदाय के लोग अपने एक से 10 दिन के दूधमुहे बच्चों के पेट में लोहे की गर्म सीक से दाग दिलाते हैं। उनका मानना है कि इस तरह नवजातों को सर्दी-जुकाम व पेट की बीमारियों से हमेशा के लिए निजात मिल...
More »ग्रामीण इलाकों में अब भी बिक रही थीं मौत की दवाएं !
बिलासपुर (निप्र)। जिले की दवा दुकानों के अलावा किराने की दुकान, झोलाछाप डॉक्टर, सरकारी अस्पतालों में मंगलवार तक मौत की दवाएं खुलेआम बिक रही थीं। बुधवार को इस गोरखधंधे का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद नींद से जागे जिला प्रशासन के अमले ने बुधवार को जिलेभर की दवा के अलावा किराना दुकान व झोलाछाप डॉक्टरों तथा सरकारी अस्पतालों में छापे मारे। इस दौरान 41 हजार 760...
More »गांव में बिजली, टीवी सब है, नहीं है तो बस एक भी शौचालय
अनूपपुर(ब्यूरो)। गांव में बिजली है। लोगों के घरों में टीवी है। प्राइमरी स्कूल भी है और लोगों की सुविधा के लिए 20 हैंडपंप भी। बस नहीं है तो केवल शौचालय। ये हालात-ए-बयां हैं अनूपपुर से 30 किमी की दूरी पर बसे गांव कदमसरा के। लगभग ग्यारह सौ की आबादी वाले इस गांव में किसी भी घर में शौचालय नहीं है। हालात ऐसे हैं कि यहां सरपंच, ग्राम रोजगार सहायक, आंगनबाड़ी...
More »बच्चों को स्कूल क्यों पसंद नहीं आता - पंकज चतुर्वेदी
वह बमुश्किल तीन साल की होगी, पापा की गोदी में जब कार से उतरी, तो चहक रही थी। जैसे ही बस्ता उसके कंधे पर गया, तो वह सुबकने लगी, रंग-बिरंगे पुते, दरवाजे तक पहुंची, तो दहाड़ें मारने लगी। वह स्कूल क्या है, खेल-घर है, वहां खिलौने हैं, झूले हैं, खरगोश और कबूतर हैं, कठपुतलियां हैं, फिर भी बच्ची वहां जाना नहीं चाहती। क्योंकि...
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