प्राइमरी स्कूलों में सहयोग के लिए रखे गए शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने के लिए शॉर्टकट तरीका अपना गया। इन्हें दो वर्षीय प्रशिक्षण देकर तीन चरणों में समायोजित किया जाना था। जनवरी 2014 में 60,000, दिसंबर 2014 में 64,000 और सितंबर 2015 में 46,000 यानी कुल 1 लाख 70 हजार शिक्षा मित्रों को समायोजित किया जाना था, लेकिन केवल दो चरणों में ही 1,35,826 को समायोजित कर दिया गया। शिक्षामित्रों के इस...
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जीएसटी की कसौटी पर- पार्थ उपाध्याय
संसद का सत्र लोक-अपेक्षाओं को पूर्ण करने का एक मंच होता है। संवैधानिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ही सरकार संविधान में संशोधन, परिवर्धन और परिवर्तन करती है। विपक्ष भी जन-आकांक्षाओं पर सरकार को काम करने के लिए बाध्य करने का एक माध्यम है। पर कांग्रेस की हठधर्मिता के कारण विपक्ष की यह भूमिका फिलहाल कमजोर हुई दिखती है। लगभग सत्रह हजार नागरिकों ने अपने हस्ताक्षरों के साथ अपील जारी की...
More »खाद्य सुरक्षा: सुधर सकते हैं फिसड्डी राज्यों के भी हालात- ज्यां द्रेज, रीतिका खेड़ा
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) की दशा ठीक नहीं है। अधिनियम को लागू हुए दो साल होने को आये लेकिन कुछ ही राज्य इसपर अमल कर पाये हैं। बाकी राज्य अब भी पात्र परिवारों की पहचान, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के सुधार तथा अन्य तैयारियों से जूझ रहे हैं। तो भी, हाल के सबूतों से संकेत मिलते हैं कि कुछ राज्य अधिनियम को बेहतर ढंग से लागू कर पाये...
More »किसानों को मिली राहत, ब्याज दर में मिलने वाली छूट की अवधि बढ़ी
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक के लिए किसानों को तीन लाख रुपए तक के कर्ज पर ब्याज में मिलने वाली दो प्रतिशत की छूट जारी रखने की स्वीकृति दी है। रिजर्व बैंक ने सभी सार्वजनिक बैंकों एवं निजी क्षेत्र के अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों को इस संदर्भ में दिशानिर्देश जारी किया है। केन्द्रीय बैंक ने कहा कि प्रत्येक किसान को तीन लाख रुपए तक की राशि...
More »अस्पताल से बाहर दवा खरीदने की छूट के लिए केंद्र में याचिका
रायपुर। मरीजों को अस्पताल के अंदर से दवा खरीदने के बजाय बाहर की किसी भी दवा दुकान से दवा खरीदने की आजादी क्यों नहीं होनी चाहिए? मरीजों पर किसी भी प्रकार की बाध्यता नहीं होनी चाहिए। आज यह मुद्दा प्रदेश के चिकित्सा जगत में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह आम मरीज का दर्द भी है, क्योंकि दवाओं का खर्च जीवन-यापन पर भारी पड़ रहा है। इसी मुद्दे को...
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