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‘जब तक यहां से वेदांता रिफाइनरी नहीं हटती, नियमगिरी की लड़ाई जारी रहेगी’

‘नियमगिरी से वेदांता अभी गई नहीं है. कोर्ट का फैसला बदल भी सकता है. जब तक अपनी जीवनशैली और जंगल को बचाने के लिए आंदोलन जारी नहीं रहेगा, तब तक नियमगिरी की सुरक्षा नहीं हो सकती.' कुछ ही दिन पहले जमानत पर रिहा किए गए नियमगिरी सुरक्षा समिति के नेता लिंगराज आजाद यह बताते हैं. ब्रिटिश माइनिंग कंपनी वेदांता भले ही कुछ साल पहले नियमगिरी में बॉक्साइट माइनिंग करने को लेकर...

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परीक्षा के अंक नहीं हैं जिंदगी का पैमाना- आशुतोष चतुर्वेदी

हाल में बिहार, झारखंड, सीबीएसइ और आइसीएससी बोर्ड के नतीजे आये हैं. साथ ही कई बच्चों के आत्महत्या करने की दुखद खबरें भी आयीं. ऐसी खबरें इसी साल आयीं हों, ऐसा नहीं हैं. ये खबरें साल-दर-साल आ रही हैं. दुर्भाग्य यह है कि अब ऐसी खबरें हमें ज्यादा विचलित नहीं करती हैं. कुछ दिन चर्चा होकर बात खत्म हो जाती है. गंभीर होती जा रही इस समस्या का कोई...

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ट्रेन रद्द करने में छह गुना बढ़ोतरी, पांच सालों में हर दिन सिर्फ 1.75 किमी नए ट्रैक बिछाए गए

नई दिल्ली: भारतीय रेल भारत की जीवन रेखा है. 81 मिलियन यानी कि 8.1 करोड़ यात्रियों को ढोने वाली भारतीय रेलवे चीन के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है. जाहिर है, भारतीय रेलवे का यह नेटवर्क कोई पांच साल में नहीं बना है. भारतीय रेलवे के विकास की एक सतत प्रक्रिया रही है. मोदी सरकार ने रेलवे विकास को लेकर बहुत सारे दावे किए हैं. आइए, देखते है कि...

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मतदान से पहले कितना सोचते हैं हम-- बीजू डॉमिनिक

क्या वोटिंग एक तर्कसंगत प्रक्रिया है? यदि ऐसा है, तब तो आम मतदाता अपने फैसले पर पहुंचने से पहले काफी सोच-विचार करता होगा। मसलन, उम्मीदवार किस पार्टी से हैं? साल 2014 में जो पार्टी सत्ता में आई थी, उसने क्या-क्या वादे किए थे? उनमें से कितने प्रतिशत वादे पूरे हुए? उन्होंने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा न कर पाने के लिए क्या उनके पास वाजिब वजहें हैं? किस पार्टी...

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गुजरात में बीते 30 सालों का सबसे भीषण सूखा

कच्छ/बनासकांठाः कच्छ और उत्तर गुजरात में आमतौर पर यह कहा जाता है कि हर तीन से चार साल में सूखा आम बात है लेकिन इन दोनों शुष्क क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने इस तरह से जीवनयापन करना सीख लिया है, लेकिन इस साल की स्थिति अपवाद है. सरकार भी यह मानती है कि राज्य में मौजूदा सूखे की स्थिति बीते 30 सालों में सबसे ख़राब है. मानसून के दौरान कच्छ...

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