रायपुर(ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को लेकर अनिश्चितता का माहौल इस कदर है कि राज्य में रोजगार की मांग करने वाले लाखों लोगों को काम नहीं मिल रहा है। कारण यह है कि जिलों में सरपंचों से लेकर अफसरों तक को आशंका है कि काम करवाने के बाद भुगतान कब होगा? हालत यह है कि छत्तीसगढ़ में रोजगार की मांग करने वाले परिवारों की संख्या...
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विकास के कोलाहल में- अरविन्द कुमार सेन
देश में सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना (एसइसीसी) के अलग-अलग पहलुओं पर बहस चल रही है। कुछ जानकार इस तथ्य की तरफ इशारा कर रहे हैं कि इस जनगणना ने भारतीय अर्थव्यवस्था के कई स्याह हिस्सों पर रोशनी डाली है। विकास के कोलाहल में स्याह हिस्सों को कोई भी सरकार नहीं देखना चाहती। चाहे वह कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार रही हो, जिसने इस जनगणना के आंकड़ों को जानबूझ कर...
More »जनगणना से मिलते संकेत- अरविन्द मोहन
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जिस तरह जनगणना के जातिवार आंकड़ों के बारे में तत्काल सफाई दी और उसे लगभग ठंडे बस्ते में डाल दिया, उसके पीछे बड़ा कारण बिहार विधानसभा का चुनाव था। अब बिहार में जातिवार जनगणना के आंकड़ों की मांग बड़ा चुनावी मुद्दा बन गई है। कई लोग यह भी कहने लगे हैं कि जरूरी नहीं कि जातिवार आंकड़ों की मांग लालू-नीतीश की जोड़ी को फायदा पहुंचाए और...
More »अब छोटू और मुन्नी का भी होगा आधार नंबर
शासन के निर्देशों को यदि अमली जामा पहनाया गया तो इसी माह के अंत तक जिले भर में कक्षा एक से आठ तक बच्चों के भी आधार कार्ड बन जाएंगे। इसके लिए शिक्षा निदेशक ने विद्यालयों में विशेष आधार नामांकन शिविर लगाए जाने के निर्देश जारी किए हैं। शिक्षा निदेशक (बेसिक) दिनेश बाबू शर्मा ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया है कि कक्षा एक से आठवीं तक की कक्षाओं...
More »कराहते करघे अब करुण कहानी भर हैं-- अमितांशु पाठक
अभी कुछ ही दिन हुए, जब वाराणसी में फाकेहाली से हताश एक बुनकर दंपति ने अपनी तीन बच्चियों की हत्या कर दी। पर विदर्भ के किसानों की आत्महत्या की तरह बनारस के बुनकरों की आर्थिक तंगी, बेकारी, गरीबी और कुपोषण को मीडिया में सुर्खियां नहीं मिल सकीं। इसलिए दुनिया भर में फैले बनारसी साड़ियों के शौकीन नहीं जानते कि यहां अनेक बुनकर परिवारों को दो जून का भरपेट भोजन और...
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