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जीएसटी: रिटर्न की संख्या से सरकार हैरान

कंपनियों द्वारा माल व सेवा कर (जीएसटी) कंपोजिशन योजना के तहत दाखिल रिटर्न की संख्या से सरकार हैरान है। करीब पांच लाख कंपनियों ने रिटर्न में अपनी सालाना बिक्री को सिर्फ पांच लाख रुपए ही दिखाया है। इस बीच वित्त सचिव हसमुख अधिया ने मंगलवार को फिर दोहराया कि पिछले कुछ दिनों के दौरान शेयर बाजारों में गिरावट की वजह वैश्विक स्तर पर बाजारों में गिरावट है। उन्होंने इस बात...

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भारत में जलमार्गों की आर्थिकी-- प्रवीर पांडे

अतीत में व्यापार और यात्री परिवहन के लिए नदियां एक समृद्ध माध्यम रहीं। लेकिन सड़क और रेलतंत्र के विकास के साथ ही नदी आधारित परिवहन पर ध्यान कम होने लगा। अब जब विकास और उन्नति के साथ ही पर्यावरण को बनाए रखने पर जोर है- परिवहन के लिए अंतर्देशीय जलमार्ग विकास पर भी ध्यान केंद्रित हो रहा है। गंगा-यमुना और देश की अन्य नदियों को पुनर्जीवित करने के साथ ही...

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शोर ज्यादा, मतलब की बातें कम-- अभिजीत मुखोपाध्याय

जैसी कि उम्मीद थी, केंद्रीय बजट-कम-से-कम बजट भाषण- में खेती और ग्रामीण क्षेत्र पर बहुत ही अधिक फोकस किया गया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागत से डेढ़ गुना करने का फैसला 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने के सरकार के दीर्घकालिक महत्वाकांक्षा के अनुरूप है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने भाषण में कहा है कि नीति आयोग द्वारा तैयार प्रणाली के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य तय...

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बजट 2018: घट गया पिछले साल के मुकाबले खेती-किसानी और ग्रामीण विकास का बजट

  वित्तमंत्री का बजट भाषण पूरा हुआ, इस भाषण में खेती-किसानी का जिक्र कितना था ? तकरीबन बारह हजार (11,937) शब्दों के बजट-भाषण में खेती-किसानी पर लगभग सवा दो हजार (2,256) शब्द ! मतलब पूरे भाषण का पांचवां हिस्सा देश के ग्रामीण विकास के नाम!   पूरे भाषण में 27 दफे ‘किसान' (Farmer) शब्द आया और 16 दफे किसानी (Agriculture) का जिक्र. हालांकि ‘किसान-आत्महत्या' या ‘ग्रामीण-संकट' जैसा कोई शब्द बजट-भाषण में नहीं था तो भी...

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मातृत्व लाभ तुरंत लागू किया जाय- रोज़ी-रोटी अधिकार अभियान

रोज़ी रोटी अधिकार अभियान गर्भवती महिलाओं व उनके शिशुओं के लिए न्याय माँगता है. चार साल से अधिक समय से भारत की सब महिलाएं (केवल औपचारिक क्षेत्र में काम कर रही महिलाओं को छोड़कर) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के अनुसार कम से कम 6,000 रुपये के मातृत्व भत्ते की हकदार हैं. सरकार महिलाओं का यह अधिकार देने में पूर्ण रूप से असफल रहा है. कुपोषण व शिशु और मातृत्व मृत्यु...

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