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चर्चा में.... | बजट 2018: घट गया पिछले साल के मुकाबले खेती-किसानी और ग्रामीण विकास का बजट
बजट 2018: घट गया पिछले साल के मुकाबले खेती-किसानी और ग्रामीण विकास का बजट

बजट 2018: घट गया पिछले साल के मुकाबले खेती-किसानी और ग्रामीण विकास का बजट

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published Published on Feb 1, 2018   modified Modified on Feb 2, 2018
 
वित्तमंत्री का बजट भाषण पूरा हुआ, इस भाषण में खेती-किसानी का जिक्र कितना था ?

तकरीबन बारह हजार (11,937) शब्दों के बजट-भाषण में खेती-किसानी पर लगभग सवा दो हजार (2,256) शब्द ! मतलब पूरे भाषण का पांचवां हिस्सा देश के ग्रामीण विकास के नाम!
 
पूरे भाषण में 27 दफे ‘किसान' (Farmer) शब्द आया और 16 दफे किसानी (Agriculture) का जिक्र. हालांकि ‘किसान-आत्महत्या' या ‘ग्रामीण-संकट' जैसा कोई शब्द बजट-भाषण में नहीं था तो भी कोई कह सकता है कि वित्तमंत्री के जनवरी माह वाले बयान के अनुकूल बजट-भाषण में जोर खेती-किसानी और ग्रामीण-विकास पर था.

 

एक अखबार ने लिखा भी कि वित्तमंत्री के "बजट भाषण का पहला आधा घंटा पूरी तरह गांव, खेत, खलिहान और किसान पर केंद्रित रहा. "

 

लेकिन असल सवाल तो ये है कि आमदनी, खर्च और क्षेत्रवार राशि के आबंटन के इस सालाना लेखा-जोखा में दरअसल खेती-किसानी और ग्रामीण-विकास के मद में आबंटन कितना हुआ ? और, इस बार का आबंटन पिछले सालों के मुकाबले बढ़ा है या घटा है ? 


 
सवाल का उत्तर तलाशने के लिए इन्क्लूसिव मीडिया फॉर चेंज टीम ने आपके लिए एक खास तालिका तैयार की है. तालिका में कृषि-मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय को हुए बजट-आबंटन का जिक्र है.

 

जैसा कि तालिका-1 (Table 1) से स्पष्ट है अगर प्रतिशत पैमाने पर देखें तो गांव-गिरान के विकास और किसानी के कल्याण से जुड़े इन दो बड़े मंत्रालयों को बजट-आबंटन बीते साल (2016-17) की तुलना में इस साल (2018-19) घटा है. कृषि-मंत्रालय और ग्रामीण-विकास मंत्रालय को पिछले साल बजट की कुल राशि का 7.27 प्रतिशत हिस्सा (आऱई - R.E.) हासिल हुआ जबकि इस साल (2018-19) बजट की कुल राशि का 7.06 प्रतिशत (बीई - B.E.) आबंटित हुआ है. गौरतलब है कि 2017-18 में बजट पर खर्च के लिए 22,17,750 करोड़ रुपये आबंटित हुए थे और इस साल 24,42,213 करोड़ रुपये.

 

Table 1: Expenditure of Ministry of Agriculture & Farmers Welfare and Ministry of Rural Development -- Net of receipts and recoveries (in Rs. Crore)

Allocation to MoAFW and MoRD in 2018-19

Source: Expenditure by various departments of MoAFW and MoRD has been taken from Expenditure Budget, Volume-2, from 2013-14 to 2018-19, www.indiabudget.gov.in  
 

GDP data (new series, current prices) from 2011-12 to 2016-17 has been taken from the Press Note on Provisional Estimates of Annual National Income 2016-17 and Quarterly Estimates of Gross Domestic Product for the Fourth Quarter (Q4) of 2016-17, released on 31st May, 2017, Central Statistics Office (CSO), Ministry of Statistics and Programme Implementation (MoSPI), please click here to access

GDP data (new series, current prices) for 2017-18 has been taken from the Press Note on First Advance Estimates of National Income 2017-18, released on 5 January, 2018, CSO, MoSPI, please click here to access

 
Data on total expenditure of the Central government has been taken from Budget at a Glance section of the Budget Documents since the year 2013-14, please click here, here, here, here here and here to access
 
 
Note: 'RE' means Revised Estimate of Union budget; 'BE' means Budget Estimate of Union budget
 
 
जहां तक पिछले सालों के बजट-आबंटन सवाल है साल 2015-16 में बजट की कुल राशि 17,90,783 करोड़ रुपये थी और इसका 5.64 प्रतिशत इन दोनों मंत्रालयों को हासिल राशि हुआ जबकि 2016-17 में 19,75,194 करोड़ रुपये के कुल बजट-आबंटन में कृषि-मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय का हिस्सा 7.15 प्रतिशत का रहा.

 

ध्यान रहे कि किसानों को छोटी अवधि के ऋण पर दी जाने वाली सब्सिडी (Interest subsidy for short term credit to farmers) के मद का खर्चा पहले पहले वित्त-मंत्रालय के वित्तीय सेवा प्रभाग के डिमांड फॉर ग्रांट के मद में दर्ज किया जाता था. लेकिन, 2016-17 में यह खर्चा कृषि मंत्रालय के कृषि, सहयोग एवं कृषक कल्याण विभाग के अंतर्गत दिखाया गया और विशेषज्ञों के अनुसार इसी कारण 2016-17 में कृषि-मंत्रालय के बजट-आबंटन में बढोत्तरी दिखी.

 

अगर, सब्सिडी के मद में दी जाने वाली इस राशि को घटा दें तो 2016-17 में दोनों मंत्रालयों को मिली बजट-आबंटन की राशि 7.15 प्रतिशत से कम होकर 6.47 प्रतिशत तथा 2017-18 में 7.27 प्रतिशत से घटकर 6.60 प्रतिशत हो जाती है. अगर छोटी अवधि के ऋण पर लगे ब्याज के मद में दी जाने वाली छूट की राशि को घटा दें तो इस साल के बजट-आबंटन में दोनों मंत्रालयों का हिस्सा 7.06 प्रतिशत से घटकर 6.45 प्रतिशत हो जाएगा.

 

Image Courtesy: Himanshu Joshi



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