-सत्याग्रह, हाल ही भारत में गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) से जुड़ी दो खबरों ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं. पहली खबर मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़ी है. भारत सरकार ने एमनेस्टी के बैंक खाते फ्रीज कर दिए जिसके बाद संस्था ने भारत में अपना काम बंद करने की घोषणा कर दी. दूसरी खबर विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) में किया गया बदलाव है. इन दो...
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2019 में वायु प्रदूषण से हर घंटे 13 नवजातों की मौत
-डाउन टू अर्थ, स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 के अनुसार वायु प्रदूषण के चलते भारत में 2019 में 116,000 से भी ज्यादा नवजातों की मौत हुई, जबकि इसके चलते 16.7 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। वैसे भी देश में शायद ही ऐसा कोई शहर है जो इस प्रदूषण के असर से बचा है। जबकि यदि वैश्विक आंकड़ों की बात करें तो इसके चलते 2019 में 476,000 नवजातों की मौत उनके जन्म...
More »बिहार एक बार फिर देश को रास्ता दिखा सकता है, रोज़गार बन रहा है चुनाव का केंद्रीय सवाल
-न्यूजक्लिक, बिहार चुनाव में मोदी जी की सीधी एंट्री 23 अक्टूबर से होने जा रही है। पहले चरण के चुनाव के एक सप्ताह पूर्व। वैसे उनके नम्बर दो के स्टार प्रचारक योगी जी 20 अक्टूबर से मैदान में उतर रहे हैं। (अपना हाथरस, बलिया वाला रामराज का UP मॉडल लेकर! ) सवाल यह है कि NDA के हाथ से जो बाजी निकलती जा रही है, क्या वे इसे पलट पाएंगे? चुनाव की घोषणा...
More »हर चार में से तीन ग्रामीण भारतीयों को नहीं मिल पाता पौष्टिक आहार: रिपोर्ट
-द वायर, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा प्रकाशित एक पेपर में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले हर चार में से तीन भारतीयों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है. बता दें कि हाल में जारी वैश्विक भूख सूचकांक 2020 में भारत 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर है और भूख की ‘गंभीर’ श्रेणी में है. विशेषज्ञों ने इसके लिए खराब कार्यान्वयन प्रक्रियाओं, प्रभावी निगरानी की कमी, कुपोषण से निपटने का...
More »बिहार में 'विकास की जाति' पर बात करने से क्यों डरते हैं हिंदीपट्टी के राजनीतिक टिप्पणीकार!
-न्यूजलॉन्ड्री, पिछले तीस वर्षों की भारतीय राजनीति, खासकर उत्तर भारतीय राजनीति पर जब टिप्पणीकार टिप्पणी करते हैं तो सामान्यता इस बात का जिक्र करना नहीं भूलते कि किस तरह विभिन्न जाति के नेताओं ने सिर्फ अपनी जाति का विकास किया. वही टिप्पणीकार हालांकि जान-बूझकर इस बात को भूल जाते हैं कि बिहार में विकास भी जाति के आधार पर होता है. दरअसल, वहां आज तक जातिगत आधार पर ही विकास को...
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