रायपुर (निप्र)। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में मंगलवार को '51वीं वार्षिक धान अनुसंधान समूह बैठक' का समापन हुआ। इससे पहले तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में देश-दुनिया के सैकड़ों धान अनुसंधान वैज्ञानिकों ने धान की पैदावर बढ़ाने, सुंगधित, जैविक खाद की बढ़ोतरी और पोषकता की मात्रा को बढ़ाए जाने व कम पानी से धान की खेती संबंधित अनेक विषयों पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले साल समूह...
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सुप्रीम कोर्ट ने जानी आश्रय स्थलों की स्थिति
आर सेधुरमन/ट्रिन्यू नयी दिल्ली, 3 अप्रैल सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्यों में बने आश्रय स्थलों में रह रही गरीब विधवा महिलाओं की स्थिति जानने का फैसला किया है। हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि उसने इन महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए आश्रय स्थलों को दी जाने वाली ग्रांट में इस साल से 4 गुणा वृद्धि की है। एनवायरनमेंट एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन फाउंडेशन नामक एनजीओ द्वारा दायर एक जनहित याचिका...
More »किडनी देने में छत्तीसगढ़ की महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों से अधिक
रायपुर। जिंदा रहते शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग में से एक किडनी (गुर्दा) का दान करना किसी के लिए भी आसान नहीं। तब जब कोई महिला इस परिस्थिति से गुजर रही हो, उसके अपने किसी की जिंदगी उसकी एक किडनी दान देने बच सकती हो। ऐसे में किडनी दान के लिए शारीरिक, मानसिक रूप से तैयार होने में छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। वे किसी...
More »मनरेगा : देश के एक तिहाई जिलों में ही सामाजिक अंकेक्षण
चालू वित्तवर्ष में अब चंद दिन बाकी हैं लेकिन देश के केवल एक तिहाई जिलों में ही मनरेगा के कामकाज का सामाजिक अंकेक्षण हो सका है. मनरेगा संबंधी सूचनाओं की वेबसाइट के एमआईएस(मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम) के आंकड़ों के विश्लेषण से इस तथ्य का खुलासा होता है कि वित्तवर्ष 2015-16 में 26 मार्च तक देश के केवल एक तिहाई जिलों में ही सामाजिक अंकेक्षण का काम हुआ है. एमआईएस के आंकड़ों के मुताबिक मनरेगा...
More »कुम्हारबांधी: यहां 2016 में भी दिखती है 18वीं सदी जैसी गरीबी
सारठ बाजार. गरीबों के उत्थान की बातें अक्सर होती हैं, लेकिन इसके प्रति गंभीरता नहीं दिखायी जाती है. यही कारण है कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों का जीवन सिर्फ दो वक्त की रोटी कमाने के प्रयास में ही बीत जा रहा है. प्रखंड के कुम्हराबांधी गांव के हरिजन टोले का ग्रामीणों का जीवन सिर्फ दो वक्त की रोटी तक सिमट कर रह गयी है और वह रोटी भी...
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