श्रम संसार पहले ही रोबोट से त्रस्त था। रोबोट द्वारा अधिकाधिक कार्य जैसे असेंबली लाइन पर कारों का निर्माण किया ही जा रहा था। अब कंप्यूटर द्वारा बौद्धिक कार्यों को भी किया जाने लगा है। इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई कहते हैं। जैसे यदि आपको कोर्ट में कोई मामला दायर करना हो तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम से आप जान सकते हैं कि उसी संबंध में कौन से पूर्व निर्णय दिए...
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शिक्षक को मजबूर बनाती व्यवस्था-- मनीषा सिंह
हमारे समाज में शिक्षक काफी सम्मान का पात्र समझा जाता रहा है। देश की भावी पीढ़ी या भविष्य कहलाने वाले बच्चों और अंतत: समाज को शिक्षा व सही दिशा-निर्देश देने की शिक्षक की भूमिका में तो अब भी कोई बदलाव नहीं हुआ है, पर आधुनिक व्यवस्था में वह समाज के सबसे निरीह प्राणी के रूप में देखा जाने लगा है। इसका कारण सिर्फ यह नहीं है कि शिक्षक के रूप...
More »फंसे कर्ज का बढ़ता मर्ज-- सतीश सिंह
एक तरफ भारतीय बैंक पहले से ही फंसे कर्ज (एनपीए) की समस्या से जूझ रहे थे, दूसरी तरफ पंजाब नेशनल बैंक में हुए फर्जीवाड़े ने एनपीए की समस्या को और गंभीर बना दिया है, क्योंकि इस फर्जीवाड़े का आंशिक असर यूनियन बैंक आॅफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ऐक्सिस बैंक पर पड़ सकता है, क्योंकि इन तीनों बैंकों ने पीएनबी द्वारा जारी किए गए एलओयू के आधार पर नीरव मोदी की...
More »गैर आदिवासियों को जमीन न बेच पाने के कानून से परेशान हो रहे आदिवासी
रायपुर। आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए बने कानून अब उनके लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। 1959 में भू-राजस्व संहिता लागू हुई तो प्रावधान किए गए कि आदिवासी की जमीन कोई गैर आदिवासी नहीं ले सकता। यह भी कानून बनाया गया कि अगर किसी आदिवासी के पास पांच एकड़ से कम भूमि है तो वह आदिवासी को भी अपनी भूमि बिना कलेक्टर की अनुमति के नहीं बेच सकता। अब...
More »बिहार : मां-बाप के इलाज के लिए भीख मांग रही बच्ची
सुलतानगंज : लाचार मां-बाप का इलाज और भरण-पोषण के लिए एक आठ साल की बेटी को घर-घर भीख मांगनी पड़ रही है. भीख में मिले पैसे से वह माता-पिता, एक बहन और खुद के लिए भोजन की व्यवस्था करती है. जिस दिन भीख में पैसे नहीं मिलते हैं, उस दिन घर में भोजन पर भी आफत हो जाती है. आस-पड़ोस के लोग भूखे देख कभी भोजन का इंतजाम कर...
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