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वेश्यावृत्ति से मुक्त हुई बच्चियों का पुनर्वास हो

नई दिल्ली, [जागरण ब्यूरो]। बाल वेश्यावृति पर गंभीर चिंता जताते हुए कोर्ट ने सरकार से उनका ठीक-ठाक पुनर्वास करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें मुक्त करा कर गलियों में छोड़ देने से कुछ नहीं होगा। जब तक उनके पुनर्वास का ठीक-ठाक इंतजाम ना हो, सरकार उनकी शिक्षा और आश्रय का इंतजाम करे। कोर्ट ने ये टिप्पणियां बाल मजदूरी, वेश्यावृति और अंगों के व्यापार के लिए बच्चों की तस्करी की समस्या पर सुनवाई के...

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भूखे पेट ने रोका न्याय का रास्ता

भारत भूषण, कपूरथला; 'बाबू जी हमार बच्चों को खिलान-पिलान के लिए हमार पास कुछ नाहीं है। पापी पेटवा के खातिर हमें मजूरी करनी ही पड़ेगी।' यह दर्द भरे शब्द थे, गुंडों के हाथों मार खाए बैठी झुग्गी बस्ती की सदस्य बसंतो पासवान के। भूखे पेट और गरीबी ने बेइज्जत हुए इन लोगों को इस कदर मजबूर कर दिया है कि उन्हें घायल अवस्था में भी काम करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। उल्लेखनीय...

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निर्भर नहीं, आत्मनिर्भर !- मिहिर शाह

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) क्रांतिकारी जनपक्षधर विकास कार्यक्रमों का वायदा करती है। ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों द्वारा उसकी योजना, क्रियान्वयन और जांच-परख से हजारों स्थायी रोजगार पैदा हो सकते हैं। लेकिन नरेगा की लड़ाई बरसों से चले आ रहे एक बुरे अतीत के साथ है। पिछले साठ सालों से ग्रामीण विकास की योजनाएं राज्य की इच्छा और सदाशयता पर ही निर्भर रही हैं। श्रमिकों को दरकिनार करने वाली मशीनों और ठेकेदारों को काम...

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भेंटवार्ता जोन पी मेंशे से- वकार अहमद सईद

नृत्त्वशास्त्र की अध्येता जॉन पी मेंशे से की गई यह भेटवार्ता फ्रंटलाइन से साभार ली गई है।   प्रोफेसर जोन पी मेंशे नृत्तत्वशास्त्र की अध्येता हैं। उन्होंने बरसों तक सिटी यूनिवर्सिटी ऑव न्यूयार्क के ग्रेजुएट सेंटर और इसी यूनिवर्सिटी के लेहमान कॉलेज में अपने विषय का अध्यापन किया है। प्रोफेसर मोंशे सेकेंड चांस फाऊंडेशन नामक एक नॉट फॉर प्राफिट संस्था की अध्यक्ष भी हैं। यह संस्था भारत और संयुक्त राज्य...

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जमींदोज हुआ डेहरी का बाध उद्योग

डेहरी-आनसोन (रोहतास) एक दशक पूर्व तक करघे की खट-खट से गुलजार रहने वाले डेहरी के शिवगंज, कमरनगंज व चौधरी मुहल्ले की मशीने शांत पड़ गयी हैं। संरक्षण के अभाव में बाध (रस्सी) का कुटीर उद्योग जमींदोज हो गया। इससे कभी सैकड़ों निषाद परिवारों के घर के चूल्हे चलते थे, आज वे दिहाड़ी मजदूर बन गये हैं। नगर परिषद के अंतर्गत पड़ने वाले चौधरी मुहल्ला, शिवगंज व कमरनगंज में लगभग 85 परिवार इससे जुड़े थे। प्रत्यक्ष...

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