SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 545

नकद पैसे का खेल- बनवारी

जनसत्ता 14 फरवरी, 2013: मनमोहन सिंह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि गरीबी एक आर्थिक और राजनीतिक समस्या के बजाय अब केवल वित्तीय समस्या रह गई है। केंद्र सरकार की प्राथमिक चिंता अब न बेरोजगारी है, न महंगाई। देश की इन दो सबसे बड़ी समस्याओं से मुंह चुराने का उसने एक आसान उपाय निकाल लिया है। देश के गरीब लोगों के हाथ में दमड़ी रख दो; इससे सरकार के कल्याणकारी...

More »

दाम आसमान पर, मगर महंगाई दर में गिरावट

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आम आदमी की रसोई से जुड़े उत्पादों के दाम भले बाजार में आसमान छू रहे हैं, लेकिन सरकारी आंकड़ों में लगातार चौथे महीने महंगाई की दर में कमी दर्ज की गई है। थोक मूल्यों वाली महंगाई की दर जनवरी में घटकर 6.62 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं, प्याज और आलू समेत खाने-पीने की सभी जरूरी चीजों के दामों में तेजी बनी हुई है। थोक मूल्यों पर...

More »

तेल का काला खेल- अरविन्द सेन

जनसत्ता 31 जनवरी, 2013: ममता बनर्जी के गति अवरोधक से आजाद कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार अब निवेशकों की दिखाई राह पर दौड़ रही है। रेल किरायों में बढ़ोतरी के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के नाम पर डीजल सुधारों का जुमला छोड़ा गया है। डीजल के दाम में पचास पैसे का इजाफा करते हुए सरकार ने कहा है कि अब से हर महीने डीजल की कीमत एक रुपए...

More »

समानता के पहरुए- अरुण माहेश्वरी

जनसत्ता 2 नवंबर, 2012: नवउदारवाद के लगभग चौथाई सदी के अनुभवों के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक अर्थशास्त्र को बुद्ध के अभिनिष्क्रमण के ठीक पहले ‘दुख है’ के अभिज्ञान की तरह अब यह पता चला है कि दुनिया में ‘गैर-बराबरी है’, और इससे निपटे बिना मुक्ति, यानी आर्थिक-संकटों की लहरों में डूबने से बचने का रास्ता नहीं है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ पत्रिका के ताजा अंक (13-19 अक्तूबर) में विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में उन्नीस...

More »

चुप्पी की अदृश्य दीवारें टूट रही हैं...- योगेन्द्र यादव

रॉबर्ट वाड्रा-डीएलएफ के संबंधों के खुलासे के बाद महत्वपूर्ण मुद्दों पर नेताओं और मीडिया की चुप्पी में सेंध लगी है और देश के पहले परिवार का आचरण राजनीतिक मर्यादा के मानदंड पर खरा नहीं उतरता. जब से अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के संबंधों का खुलासा किया है तब से दिल्ली शहर में हड़कंप है. राजनेता खीजे हुए हैं, बौखलाए हुए हैं. मीडिया कुछ ईर्ष्या भाव...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close