अक्सर यह मुख्यधारा के अर्थशास्त्रियों द्वारा तर्क दिया जाता है कि हर साल केंद्रीय बजट का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद हो जाता है क्योंकि सरकार खाद्य और उर्वरक सब्सिडी पर खर्च करती है. पूरे बजट के साथ-साथ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के सापेक्ष इन दोनों सब्सिडी के डेटा का उपयोग अक्सर इस तर्क को बल देने के लिए किया जाता है कि आर्थिक के साथ ही साथ देश की पर्यावरणीय...
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कृषि क़ानून और खाद्य सुरक्षा
-न्यूजक्लिक, मोदी सरकार ने जो तीन कृषि कानून हड़बड़ी में संसद से पारित करवाए हैं, वे किसान उत्पादकों को सीधे कॉर्पोरेट खरीदारों का सामना करने के लिए छोड़ देते हैं, और तो और उनके बीच राज्य का कोई हस्तक्षेप ही नहीं रहेगा। सरकार का दावा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था के रूप में उसका हस्तक्षेप तो फिर भी बना रहेगा। लेकिन, यह मानने वाली बात नहीं है। अगर एमएसपी की...
More »नरेंद्र मोदी के लिए राजनीतिक मुसीबत बन सकती है सरकारी संपत्तियों की थोक बिक्री
-द वायर, राजनीतिक-आर्थिक सुधारों के प्रति रवैये की बात करें, तो 2021 के नरेंद्र मोदी, 2015 के नरेंद्र मोदी से काफी अलग नजर आते हैं. इन दो अलग-अलग रवैयों के पीछे के कारण और प्रेरणाएं अपने आप में अध्ययन का विषय हैं. 2015 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के ड्राफ्ट बजट प्रस्तावों को यहां याद किया जा सकता है. उस समय के सुधारों का केंद्रबिंदु आखिरकार सरकार के नियंत्रण में रह जानेवाले...
More »भारत के जलवायु आंदोलन को राह दिखाते युवा पर्यावरण संगठन
-कारवां, चेन्नई के एक लेखक और शोधकर्ता नित्यानंद जयारमन ने 19 जनवरी को अडाणी वॉच नाम की एक वेबसाइट पर दुनिया भर में युवाओं द्वारा चलाए जा रहे 25 से अधिक पर्यावरणीय संगठनों की अडाणी समूह के खिलाफ हफ्ते भर के विरोध प्रदर्शन की घोषणा की. जयरामन की पोस्ट का शीर्षक था : "अडाणी को रोकने के लिए युवाओं की योजना (वाईएएसटीए), 27 जनवरी से 2 फरवरी". इसमें आगे लिखा था, "वाईएएसटीए...
More »पंचतत्व: देवास ने मिट्टी से जल संकट का समाधान निकाल कर कैसे बुझायी अपनी प्यास
-जनपथ, मध्य प्रदेश में एक इलाका है मालवा. बेहद संपन्न, बेहद उपजाऊ, पर मालवा का देवास जिला इसकी संपन्नता का ठीक उलट था. वजह- गहरा जल संकट. इस इलाके में जलसंकट सन 2000 वाले दशक में इतना विकट था कि शहर में जलापूर्ति ट्रेनों के जरिये की जाने लगी थी. खेती चौपट हो गई और किसानों को साल भर में महज एक ही फसल मिल रही थी. पानी के संकट ने...
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