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Breaking: बसपा सरकार में पानी में फेंक दिए 155 करोड़ रुपये

लखनऊ. बिजनौर में चल रही मध्य गंगा नहर परियोजना मे लगने वाले पंपों में बड़ा हेरफेर हुआ है। कागजों पर ज्यादा पंप लगे दिखाकर डेढ़ सौ करोड़ रुपयों की बंदरबांट की गई है। यह सारा गोरखधंधा बसपा सरकार में वर्ष 2010 में हुआ। सरकार ने फौरी मुआयने में 155 करोड़ रुपये की अनियमितता पकड़ी है। शुरुआती जांच में सिंचाई विभाग के कई आला अफसरों के नाम इस अनियमितता को बरतने में आ...

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मुखिया के आवास में चलता है पंचायत सचिवालय

पंचायत चुनाव हुए करीब पौने दो वर्ष बीत गये पर आज भी अधिकतर पंचायतों का पंचायत सचिवालय मुखिया के आवास पर ही संचालित हो रहा है. कहीं पंचायत भवन जर्जर होने तो कहीं निर्माण कार्य अधर में रहने के कारण मुखिया अपने आवास में ही पंचायत संबंधी कार्य निबटाने को विवश हैं. गिरिडीह के पंडरी, बड़कीटांड़, अहिल्यापुर, दासडीह, उदयपुर, चंपापुर, बदगुंदा, र्कीबांक, बुधुडीह, जामजोरी, रसनजोरी, डोकीडीह, ताराटांड़ आदि को ही लें...

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गेहूं का उत्पादन घटाइए- भरत झुनझुनवाला

गत वर्ष गेहूं का रिकार्ड उत्पादन हुआ था. पूर्व के स्टॉक भी पर्याप्त मात्र में उपलब्ध थे. इस परिस्थिति में सरकार ने 2011 में गेहूं के निर्यात की स्वीकृति दे दी थी. कुछ निर्यात हुए भी हैं. गेहूं का उत्पादन हमारी जरूरतों से ज्यादा है. इस असंतुलन को ठीक करने के दो उपाय हैं. एक यह कि गेहूं की खपत अथवा निर्यात बढ़ाया जाये. दूसरा यह कि गेहूं का उत्पादन घटाया...

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किसान को मिले सब्सिडी-।। डॉ भरत झुनझुनवाला ।।

सब्सिडी के बढ़ते बोझ के कारण सरकार की वित्तीय स्थिति गड़बड़ा रही है. सरकार ने सब्सिडियों में कटौती करने का मन बनाया है. किसान और गरीब को सब्सिडी जरूरी है. सब्सिडी घटाने के स्थान पर इसके वितरण के नये रचनात्मक उपाय सोचने चाहिए, जिससे खर्च भी बचे और किसान भी लाभान्वित हों. सरकार रासायनिक फर्टिलाइजर, यूरिया कंपनियों को भारी सब्सिडी दे रही है. वित्त मंत्रालय के एक दस्तावेज के अनुसार केवल 46...

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हमारे लोकतंत्र का संकट- शिवदयाल

जनसत्ता 16 अक्टुबर, 2012: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, सवा अरब लोगों का। छह-सात प्रतिशत की दर से बढ़ती अर्थव्यवस्था। पर इसकी अधिकांश आबादी को अब तक ‘ट्रिकल डाउन’ यानी अमीरों के उपभोग से रिस कर मिलने वाले लाभ का ही आसरा है। छीजते जाते संसाधन, बिगड़ता जाता पर्यावरण, जलावतनी और विस्थापन, एक-दूसरे को काटती और खारिज करती पहचानें, लगभग एक-तिहाई से भी अधिक भूभाग सैन्यबलों के भरोसे, और इतने पर भी धन...

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