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असमानता की जड़ें-- सतीश सिंह

सरकार चाहती है कि देश विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर हो, लेकिन वह बैंकों की सेहत सुधारने की दिशा में ठोस पहल नहीं कर रही है। मजबूत अर्थव्यवस्था की रीढ़ बैंकिंग क्षेत्र को माना गया है। अर्थव्यवस्था को बैंकों की मदद से ही संतुलित रखा जा सकता है। बैंकों की सकारात्मक भूमिका के बिना वित्तमंत्री देश के विकास के सपने को साकार नहीं कर सकते हैं। संपत्ति शोध कंपनी ‘न्यू...

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शिक्षा दो, अच्छे शिक्षक भी दो-- प्रमोद जोशी

दुनिया में शिक्षक दिवस पांच अक्तूबर को मनाया जाता है. लेकिन, भारत में यह उसके एक महीने पहले पांच सितंबर को मनाया जाता है. हमने पहले फैसला किया कि साल में एक दिन अध्यापक के नाम होना चाहिए. सन् 1962 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने. उस साल उनके कुछ छात्र और मित्र पांच सितंबर को उनके जन्मदिन का समारोह मनाने के बाबत गये थे. इस पर डॉ राधाकृष्णन ने...

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हमने बदल डाली है यह धरती- मार्टिन रीस

यह धरती साढ़े चार अरब साल पुरानी है और अगर इसकी शुरुआत से किसी दूसरे ग्रह के वासी इसे देख रहे होंगे, तो उन्हें क्या दिखाई देगा? शुरुआती वर्षों में बदलाव क्रमिक ढंग से हुआ। महाद्वीप खिसके, बर्फ की परत कमजोर हुई, प्रजातियां बनीं, विकसित हुईं और कुछ सदा के लिए लुप्त हो गईं। पर असली बदलाव पिछले कुछ साल में हुआ। और अब भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बदलाव...

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किराए की कोख और कानून-- सुधा सिंह

सरोगेसी विधेयक पर हर तरह की राय आ रही है। अन्य देशों का हवाला दिया जा रहा है जहां सरोगेसी पर पाबंदी है, विशेषकर यूरोपीय देशों का। मोटे तौर पर सरोगेसी दरअसल ऐसे दंपति को संतान का सुख देने का जरिया है जहां स्त्री किसी कारण से गर्भधारण नहीं कर सकती, लेकिन जिन्हें अपनी जैविक संतान, कुछ समान जिनेटिक गुणों के साथ, चाहिए। ऐसे में महिला का अंडा और...

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सभी रोजगार बचाइए-- डा. भरत झुनझुनवाला

बीते साल 16 हजार करोड़ की बिक्री पर देश की इ-रिटेल कंपनियों ने 8 हजार करोड़ का घाटा खाया. 100 रुपये का माल बेचा, तो 50 रुपये का घाटा खाया. इस घाटे का एक कारण था कि स्नैपडील, फ्लिपकार्ट तथा अमेजन जैसी कंपनियों द्वारा भारी डिस्काउंट दिये जा रहे थे. इनकी रणनीति थी कि डिस्काउंट देकर एक बार खरीदार बना लेंगे, तो वह बार-बार उन्हीं से माल खरीदेगा. डिस्काउंट का...

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