नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जलवायु परिवर्तन के खतरों के खिलाफ देश में धीरे-धीरे खड़ी हो रही हरे कानूनों की नई बाड़ का असर आने वाले कुछ दिनों में आम आदमी की जिंदगी पर नजर आने लगेगा। मामला साफ हवा के नए मानकों का हो या ई-कचरे को नियंत्रित करने के पैमानों का। पर्यावरण केंद्रित नियम-कायदों का नया सांचा देश में रहन-सहन की तहजीब को नई शक्ल देने में जुटा है। बीते एक साल में सरकार...
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पानी, जहर और जीडीपी-- देविंदर शर्मा
इस चिलचिलाती गरमी में पानी का मुद्दा गरमाया हुआ है. जैसे-जैसे तापमान चढ़ रहा है और प्रमुख जलस्त्रोत सूखते जा रहे हैं, दिन-ब-दिन पीने के पानी को लेकर खून बहने लगा है. अपनी रोजमर्रा की जरूरत भी पूरी न होने से गुस्साएं प्रदर्शनकारी सड़कों पर निकल रहे हैं. आने वाले महीनों में, पानी की अनुपलब्धता सुर्खियों में रहने वाली है. जल संकट पिछले 15 सालों से खतरे की घंटी बज रही है,...
More »कृषि, कर्ज और महंगाई की चुनौतियां
नई दिल्ली [भारत डोगरा]। जहां एक ओर कृषि नीति के सामने महंगाई व किसानों के कर्ज की ज्वलंत समस्याएं हैं, वहीं दूसरी ओर जलवायु बदलाव के संकट से जूझना भी जरूरी है। वैसे तो पहले भी यह बार-बार अहसास हो रहा था कि न्याय, समता व पर्यावरण हितों की रक्षा और खेती में टिकाऊ प्रगति के लिए कृषि-नीति में बदलाव जरूरी हो गए हैं। अब जब जलवायु बदलाव के कुछ दुष्परिणाम नजर आने लगे हैं और...
More »प्रदेश में तीन हजार गांव बनेंगे ऊर्जा संपन्न
भोपाल। मध्यप्रदेश के जनजातीय अंचलों के तीन हजार गांवों को उूर्जा संपन्न गांव के तौर पर विकसित किया जाएगा। परियोजना समंवयक एल एम बेलवाल ने बताया कि जनजातीय बहुल गांवों में गैर पारंपरिक उूर्जा स्त्रोतों को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि धार, झाबुआ, बडवानी, आलीराजपुर, शयोपुर, मण्डला, डिण्डौरी, अनूपपुर और शहडोल जिलों के तीन हजार गांवों में मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका परियोजना के तहत लगभग ढ़ाई हजार...
More »तरीका बदल बचाया 90 अरब लीटर पानी
सीकर. जिले के एक लाख किसानों ने जल संकट के दर्द को समझते हुए अपने सिंचाई के तरीके को बदल लिया है। इससे एक महीने में करीब 90 अरब लीटर पानी की बचत हो रही है। सिंचाई का तरीका बदलने के लिए आगे आ रहे किसानों को कृषि विभाग अनुदान भी दे रहा है। कृषि विभाग के अनुसार, जिलेभर में करीब ढाई लाख किसान हैं। इनमें से करीब एक लाख किसान फसलों की फव्वारा, बूंद-बूंद...
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