द इकोनॉमिस्ट ने भारत पर एक कवर स्टोरी की है। इसी अंक में ‘बिजनेस इन इंडिया’ पर पूरे 34 पृष्ठ की एक विशेष रिपोर्ट है। यह रिपोर्ट भारत के संबंध में कहती है कि, ‘यह एक उभरती हुई महाशक्ति है, जिसके समाज में जोश है, जिसकी फर्मो के चेहरे पर खून की लाली है और जो विश्व मंच पर चढ़ रही हैं।’ यह वास्तव में विश्व पूंजीवाद की इस इच्छा...
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प्रतिरोध की राजनीति- सुनील खिलनानी
अन्ना हजारे के आंदोलन के साथ ही हाल के दिनों में उभरे खनन विवाद, जमीन विवाद, परमाणु संयंत्र के खिलाफ माहौल या खाप पंचायत या गुर्जरों का क्षोभ जैसे दूसरे आंदोलन केवल सत्ता में स्थित खास पार्टी के खिलाफ चुनौती भर नहीं हैं, बल्कि वे हमारी सरकारों की शासन की क्षमता पर सवाल उठाने से भी ज्यादा गहरे हैं। वस्तुतः वे हमारे राजनीतिक क्षेत्र की भावना को समय-समय पर अस्थिर...
More »स्विस बैंकों के प्रति भारतीय रुख- हरिवंश(प्रभात खबर)
आज अगर विदेशों में रखे भारतीय धन पर कोई बात हो रही है, तो इसका श्रेय पूरी तरह अन्ना और बाबा रामदेव के आंदोलनों को ही है. दो वर्ष पहले जर्मनी के एक द्वीप में भारत के धन रखे जाने की खबर जर्मन सरकार ने भारत सरकार को दी, पर खूब हो-हल्ला के बाद भी कुछ नहीं हुआ. देश का धन अगर बाहर रहता है और देश के लोग गरीबी...
More »सिर्फ जन लोकपाल से संपूर्ण हल नहीं:रामदेव
हरिद्वार, जागरण संवाददाता: योगगुरु बाबा रामदेव का कहना है कि सिर्फ लोकपाल या जनलोकपाल से देश को नहीं बचाया जा सकता। देश को खोखला कर रही समस्याओं से निजात पाने के लिए उन्होंने सात सूत्रीय एजेण्डा भी पेश किया। जिसे नाम दिया गया 'व्यवस्था परिवर्तन व संपूर्णक्रान्ति। बाबा ने प्रधानमंत्री के सीधे चुनाव की पुरजोर पैरवी करते हुए उन्हें देश की जनता के प्रति जवाबदेह बनाने पर जोर दिया। मंगलवार को...
More »स्टैंडिंग कमेटी पहल कर निकाले निदान- रघुवंश प्रसाद सिंह(पूर्वमंत्री)
सरकार के मंत्री-गण और अन्ना हजारे टीम के बीच एक-दूसरे के लोकपाल को लेकर कई मुद्दों पर असहमति है. जन लोकपाल की सभी बातों से राजनीतिक दल का कोई भी व्यक्ति सहमत नहीं है. लेकिन हाल में जन-अधिकार पर जो हमले हुए, उससे भी राजनीतिक दल सहमत नहीं हैं. संसद को कानून बनाना है. अभी लोकपाल बिल संसद की स्टैंडिंग कमिटी के पास विचाराधीन है. हालांकि स्थायी समिति ने अपनी प्रथम बैठक में...
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