SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1085

कराहते करघे अब करुण कहानी भर हैं-- अमितांशु पाठक

अभी कुछ ही दिन हुए, जब वाराणसी में फाकेहाली से हताश एक बुनकर दंपति ने अपनी तीन बच्चियों की हत्या कर दी। पर विदर्भ के किसानों की आत्महत्या की तरह बनारस के बुनकरों की आर्थिक तंगी, बेकारी, गरीबी और कुपोषण को मीडिया में सुर्खियां नहीं मिल सकीं। इसलिए दुनिया भर में फैले बनारसी साड़ियों के शौकीन नहीं जानते कि यहां अनेक बुनकर परिवारों को दो जून का भरपेट भोजन और...

More »

जमीन का भी राष्ट्रीयकरण हो- शिवदान सिंह

जमीन अधिग्रहण विधेयक जैसे अहम मसले पर मोदी सरकार की दुविधा साफ देखी जा सकती है। गुलामी के प्रतीक 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून की जगह यूपीए सरकार ने जो नया कानून बनाया था, उसे भाजपा का भी समर्थन मिला था। लेकिन सत्ता में आने के बाद वह इसे बदलना चाहती है। पर सवाल है कि क्या विकास को गति देने की राह में भूमि अधिग्रहण कानून सबसे बड़ा रोड़ा...

More »

परीक्षा में शिक्षामंत्री की पत्नी की जगह बैठी 'मुन्‍नी बहन'!

जगदलपुर/रायपुर/बिलासपुर (ब्यूरो)। पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय की परीक्षा में प्रदेश के शिक्षामंत्री केदार कश्यप की पत्नी की जगह किसी और महिला के परीक्षा देने का मामला सामने आया है। मामले के उजागर होने के बाद परीक्षा केंद्र के केंद्राध्यक्ष व मुक्त विश्वविद्यालय के समन्यवय ने चुप्पी साध ली है। बताया गया है कि तहसीलदार के निरीक्षण में यह गड़बड़ी पकड़ी गई लेकिन इसके बावजूद उक्त फर्जी महिला (मुन्‍नी बहन) परीक्षार्थी...

More »

सदियों के अन्याय पर माफी कब- सुरेन्द्र कुमार

एक भाषण कितना बड़ा बदलाव ला सकता है! बेशक यह नेहरू के अविस्मरणीय भाषण 'नियति के साथ भारत की भेंट' और मार्टिन लूथर किंग की भावनात्मक प्रेरणा 'मेरा एक सपना है' के स्तर का न हो, लेकिन बीती 14 जुलाई को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शशि थरूर का पंद्रह मिनट का भाषण भारत में 200 वर्षों के ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन पर हाल के दिनों का सबसे तीक्ष्ण, प्रभावशाली और कटु आलोचना...

More »

राजनीतिक दलों की भी हो जवाबदेही- देवेन्द्र सिंह अस्वाल

सांविधानिक और वैधानिक व्यवस्था से क्या राजनीतिक दल परे हैं या उन्हें भी उसी सांविधानिक या कानूनी व्यवस्था का पालन करना जरूरी है, जिसका वे निर्वाचन आयोग को आश्वासन देते हैं और जिनकी मजबूती के लिए वे मतदाताओं से 'मत' की अपेक्षा करते हैं? हैरानी की बात है कि जो राजनीतिक दल पारदर्शिता, लोकतांत्रिक व्यवस्था और कानून के राज की दुहाई देते हैं, वे सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून से...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close