गुजरात के पाटीदार या पटेल समुदाय के आरक्षण आंदोलन ने देश को एक बार फिर पच्चीस वर्ष पीछे धकेल दिया। 1990 के दशक में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू हुईं और देश में आरक्षण 22.5 फीसदी से बढ़कर 49.5 फीसद हो गया, क्योंकि अनुसूचित जाति/जनजाति के अलावा अन्य पिछड़े वर्ग के लिए भी 27 फीसदी आरक्षण का कानून बन गया। देश-समाज जल उठा और जातीय आधार पर एक गहरी विभाजन...
More »SEARCH RESULT
फसल की बरबादी से आपा खोने लगे किसान
धमतरी(ब्यूरो)। सूखे की मार झेल रहे किसानों के सब्र का बांध टूटने लगा है। बारिश न होने से फसलों की बरबादी और कर्ज से परेशान किसानों ने अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। धमतरी में शुक्रवार को महानदी मुख्य नहर में उतरकर किसानों ने प्रदर्शन किया और नहर से सिंचाई के लिए पानी छोड़ने की मांग बुलंद की। खेतों में मरती फसल को देखकर खून के आंसू रो रहे...
More »विचार की स्वतंत्रता का यह दंड - शीतला सिंह
कर्नाटक के प्रगतिशील वामपंथी विचारक, शोधकर्ता, विद्वान और हम्पी कन्नड़ यूनीवर्सिटी के पूर्व कुलपति 77 वर्षीय एमएम कलबुर्गी की उनके स्थानीय निवास पर गोली मार कर हत्या कर दी गयी. उनकी बेटी रूपादर्शी का कहना है कि मेरे पिता को ऐसे संगठनों से अपनी जान का खतरा था, जो जाति या सांप्रदायिकता पर उनके खुले विचारों को पचा नहीं पाते थे. इसके पहले मंगलूर के बजरंग दल प्रमुख नेता भुवित...
More »आदिवासी संघर्ष का जख्मी चेहरा- अपूर्वानंद
हिड़मे कौन है? क्या वह लड़का है या लड़की? हिड़मे भारतीय कानों के लिए एक अटपटा शब्द है। सांस्कृतिक-स्मृतिहीन लेकिन परंपराग्रस्त भारतीय माता-पिताओं को उनके पुत्र-पुत्रियों के नामकरण में सहायता करने के लिए हिंदी और अंगरेजी में जो नामावली पुस्तकें छपती हैं, उनमें यह नाम नहीं मिलेगा। हिड़मे का पूरा नाम है कवासी हिड़मे। वह लड़की है। बेहतर हो कहना कि वह युवती है। लड़की से युवती बनने की यात्रा उसने...
More »गांधी का स्वराज और युवाओं की उम्मीदें- रामचंद्र राही
आज जब हम स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहे हैं, तो स्वाभाविक है कि एक लोकतांत्रिक देश के सजग नागरिक होने के नाते हम यह पड़ताल करें कि देश की आजादी के महानायकों ने हमारे लिए जो स्वप्न देखे थे, वे कितने पूरे हुए। और यदि पूरे नहीं हुए हैं, तो आखिर हमसे गलतियां कहां हुई हैं? ऐसे में हमें सहज ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ध्यान आता है, जिन्होंने आजादी...
More »