अहमदाबाद। भारत के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने शनिवार को देश के छोटे व सीमांत किसानों की स्थिति पर चिंता जताई। साथ ही कहा कि यदि राज्य सरकारें कृषि भूमि का अधिग्रहण कर कॉरपोरेट को सौंपना कम कर सकें तो यह कृषक समुदाय के लिए अत्यंत लाभदायक होगा। उन्होंने कृषकों को "न्यायोचित" मुआवजा देने पर भी जोर दिया। यहां शनिवार को निरमा यूनिवर्सिटी में आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए...
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भूखे रहने को मजबूर क्यों अन्नदाता? - देविंदर शर्मा
पिछले लगातार तीन वर्षों से गेहूं की खेती करने वाले किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 रुपए प्रति क्विंटल की मामूली बढ़ोतरी पाते रहे हैं। यह गेहूं के किसानों को भुगतान किए जा रहे दामों में तकरीबन 3.6 फीसद की बढ़ोतरी को दर्शाता है। यदि इसकी तुलना सितंबर में केंद्रीय कर्मचारियों को दिए गए 7 फीसद अतिरिक्त महंगाई भत्ता से करें तो पता चलता है कि असंगठित क्षेत्र में किसानों...
More »महंगाई से निजात की राह लंबी
मुंबई। रिजर्व बैंक का मानना है कि जमीनी स्तर पर महंगाई कम होने में अब भी वक्त लगेगा, क्योंकि इनपुट लागत ज्यादा है और खाद्य मुद्रास्फीति का इस तरह की बुनियादी चीजों से गहरा संबंध होता है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एच आर खान ने कहा, "महंगाई से मुक्ति पाने की राह लंबी है।" खान एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि बाजार संभवतः हाल के दिनों की फौरी...
More »स्कूली स्तर पर कृषि शिक्षा को बढ़ावा क्यों नहीं-उमेश्वर कुमार
कहने को भारत कृषि प्रधान देश है। पर बात जब कृषि शिक्षा की आती है, तो सूरत अलग नजर आती है। हायर सेकेंडरी स्तर पर कृषि के पाठ्यक्रम में होने के बावजूद इस पर न सरकार का ध्यान है, न ही पढ़ने-पढ़ाने वालों का। स्कूल के बाद पढ़ाई जारी न रखने वाले अधिकांश छात्र खेती-किसानी में लग जाते हैं। लेकिन इसके लिए न तो उन्हें औपचारिक ज्ञान होता है, न...
More »बागवानी के अच्छे दिन!
यह सच है कि फल-सब्जियों की कीमतें बढ़ी हैं और यह भी सच है कि बीते बीस सालों(1991-91 से 2012-13) में देश में फल-फूल, सब्जी और मसालों की खेती का रकबा दोगुना बढ़ा है। नतीजतन, वानिकी-उत्पादन में तकरीबन तीन गुना(2.8 प्रतिशत) की बढ़ोत्तरी हुई है। कृषि मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते बीस सालों में वानिकी का रकबा 1 करोड़ 20 लाख 77 हजार हैक्टेयर से...
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