कुछ राज्यों में मानसून देरी से आया है इस कारण बोये गए चावल का इलाका पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ है. आंकड़ो में कहें तो 29 जुलाई,2022 तक 231.59 लाख हेक्टेयर रकबे में ही चावल बोये गए हैं जोकि पिछले वर्ष के इसी समय काल की तुलना में कम (267.05 लाख हेक्टेयर) है. बोये गए चावल के इलाके में आयी कमी सहित अन्य कारणों से अनाजों के दामों में महंगाई बढ़ने का डर...
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भारत में चावल की खेती लड़खड़ाई, दुनिया की खाद्य आपूर्ति गड़बड़ाई?
क्विंट हिंदी, 03 अगस्त चावल वैश्विक खाद्य आपूर्ति (global food supply) के लिए अगली चुनौती के रूप में उभर सकता है, क्योंकि भारत के कुछ हिस्सों में बारिश की कमी देखने को मिली है, साथ ही देश में पिछले तीन सालों में धान की खेती का बुआई क्षेत्र सबसे कम हो गया है. भारत के चावल उत्पादन (rice production) के लिए खतरा ऐसे समय में आया है, जब देश खाने की...
More »भारत की खाद्य चिंताएं बढ़ीं, अनियमित मॉनसूनी बारिशों से धान की रोपाई 13% पिछड़ी
दिप्रिन्ट, 30 जुलाई कृषि मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अनियमित मॉनसूनी बारिशों ने खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई को बुरी तरह प्रभावित किया है. धान रोपाई का क्षेत्र, जिसे पूरे देश में उगाया और खाया जाता है, पिछले साल के मुक़ाबले 13 प्रतिशत कम हो गया है. भारत दुनिया में चीन के बाद चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और शीर्ष निर्यातक है, जिसकी चावल...
More »पहले गेहूं, अब चावल- खराब मौसम की मार के कारण इस सीजन में ‘10 मिलियन टन’ तक गिर सकता है उत्पादन
दिप्रिंट , 27 जुलाई अप्रैल-मई में भीषण गर्मी के कारण देश में गेहूं की फसल खराब हो गई थी, जिसकी वजह से निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा और अब मौजूदा खरीफ सीजन की मुख्य फसल चावल की बुवाई कई राज्यों में कम बारिश के कारण प्रभावित हुई है. उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में इस मानसून के मौसम में अब तक कम बारिश हुई है, जबकि असम...
More »खबरदार
खास बात • गंगोत्री ग्लेशियर सालाना ३० मीटर की गति से सिकुड़ रहा है।* • अगर समुद्रतल की ऊंचाई एक मीटर बढ़ती है तो भारत में ७० लाख लोग विस्थापित होंगे।* • पिछले बीस सालों में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी जिवाश्म ईंधन के दहन से हुई है।* • मानवीय क्रियाकलापों के कारण ग्लोबल ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में लगातार बढोत्तरी हो रही है। अगर औद्योगीकरण के पहले के समय से तुलना करें तो मानवीय क्रियाकलापों...
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